Thursday, April 1, 2021

सतसंग RS शाम 01/04


राधास्वामी!! 01-04-2021-आज शाम सतसँग में पढे गये पाठ:-                                 

  (1) राधास्वामी गुरु दातार। प्रगटे संसारी।।-(राधास्वामी लें अपनाय। जस तस दया धारी।।) (प्रेमबिलास-शब्द-25-पृ.सं.30-31-ताहरपुर ब्राँच-177- उपस्थिति।)                                                                

  (2) उठत मेरे मन में नित्त उचंग। रहूँ नित गुरु के संग निसंक।।-(अर्ज यह राधास्वामी करो मंजूर। रखो मोहि हाजिर चरन हजूर।।)(प्रेमबानी-4-शब्द-11-पृ.सं.147,148)                                                              

(3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।।       

सतसँग के बाद:-                                          

   (1) राधास्वामी मूल नाम।।                               

 (2) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।                                                                    

 (3) बढत सतसँग अब दिन दिन। अहा हा हा ओहो हो हो।।                                          

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻


*राधास्वामी!! 01- 04-2021-

 आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन-कल से आगे-( 198)-

प्रश्न- जरा रुक जाइये- हम यह मानने के लिए उद्यत नहीं कि प्रकृति के बाहर भी ईश्वर है। हम यह कहते हैं कि तेल के भीतर अग्नि- शक्ति गुप्त हैं। हम एक दीपक जलाते हैं और तेल की अग्नि- शक्ति प्रकट हो जाती है। अब हम इस जलते हुए दीपक को एक बक्स में बंद कर देते हैं ।क्या बक्स के अंदर अग्नि को प्रकट नहीं माना जायगा?                        

 उत्तर- माना जायगा,किंतु साथ ही यह भी तो मानना होगा कि जैसे बक्स के भीतर एक ऐसा स्थान है जहाँ अग्नि प्रकट है, और बक्स या कोई और वस्तु अग्नि के प्रकट होने में बाधक नहीं है, ऐसे ही प्रकृति के भीतर एक ऐसा मंडल या घाट होना चाहिए जहाँ ईश्वर का सच्चिदानंद- स्वरूप प्रकट है और प्रकृति की उस स्थान में गति नहीं है।  पर अभी भी तो ऐसा स्थान मानना पड़ेगा जिसमें प्रकृति की गति नहीं है । और यह मानने में प्रकृति सीमित हो गई और ईश्वर का स्वरूप उसकी सीमा के बाहर प्रकट स्वीकार कर लिया गया। स्पष्टतया  यह केवल शब्दों का फेर है । परिणाम एक ही है।                                  

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻                                  

  यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा-

 परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**


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