🙏🙏 *आज के पावन दिवस पर* 🙏🙏
🙏 *दाताजी के चरणों में* 🙏
🙏🙏🙏🙏 *!! गुहार !!* 🙏🙏🙏🙏
*महाकाल ने रूप धरा है विकराल।*
*निगलने चला आ रहा, फैला अपना जाल*
🙏 *दाता दयाल अब रक्षा कीजिए।*🙏
*काल के विकराल पंजों से छुड़ा लीजिए।*
*रात दिन, सुबह शाम रहते हैं सब घबराए।*
*काल के घातों को हम नहीं समझ पाए।*
*हे ! दया के सागर !!*
*अब हमारे सर पर हाथ धर दीजिए।*
*महाकाल के चक्कर से,*
*हम को बचा लीजिए।*
*दरबार पर तुम्हारे,*
*अर्ज़ी हैं हम लेकर आए।*
🙏🙏 *मेरे दाता दयाल !* 🙏🙏
*दया कर कबूल कर लीजिए।*
🙏🙏 *उजड़ते परिवारों की अब,* 🙏🙏
🙏🙏 *आप ही रक्षा कीजिए।* 🙏🙏🙏
🙏 *बिलखते बालकों के सर पर हाथ धर दीजिए।* 🙏
*आप है समर्थ, काल का मुख मोड़ने में।*
*दाता दयाल अब, जरा भी विलंब ना कीजिए।*
*ज़र्रा ज़र्रा आपकी ही ओर है निहार रहा।*
*आपकी दया पाने की तमन्ना है पाल रहा।*
*कर्मों का बोझ बहुत है, उससे उबारिए।*
🙏 *अपने डूबते बच्चों को बचा लीजिए।* 🙏
*बिन दया के हम सभी डूब जाएंगे।*
*महाकाल के ग्रास बनते जाएंगे।*
🙏 *बांह पसार अब हमारी रक्षा कीजिए।* 🙏
🙏🙏 *मेरे दाता मेरे सतगुरु,* 🙏🙏
🙏 *दया की बरखा कीजिए।* 🙏
🙏 *दया की बरखा कीजिए।* 🙏
🙏🙏🙏🙏 *राधास्वामी* 🙏🙏🙏🙏
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*:: याचक ::*
*स्वरूप दयाल सत्संगी + राजपुर (बड़वानी)*
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