**राधास्वामी!! 14-05-2021-आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) प्रीति सँग गहो गुरु सरना।।टेक।। या जग में कोई मीत न तेरा। सकल संग चित से तजना।।-(गुरु सतगुरु पद परस उमँग कर। राधास्वामी चरन सीस धरना।।)
(प्रेमबानी-2-शब्द-31-पृ.सं.389
-डेढगाँव ब्राँच-आधिकतम उपस्थिति-49)
(2) भूल हुई या जग में भारी। सुद्ध निज घर की तज डारी।।-(काल का लो झकझोल बचाय। चरन में निस दिन सुरत समाय।।) (प्रेमबानी-1-शब्द-21-पृ.सं.32)
(3) यथार्थ प्रकाश-भाग-3
सतसंग के बाद:-
(1) राधास्वामी मूल नाम।।
(2) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।
(**राधास्वामी!! 14-05-2021
-आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) प्रीति सँग गहो गुरु सरना।।टेक।। या जग में कोई मीत न तेरा। सकल संग चित से तजना।।-(गुरु सतगुरु पद परस उमँग कर। राधास्वामी चरन सीस धरना।।) (प्रेमबानी-2-शब्द-31-पृ.सं.389-डेढगाँव ब्राँच-आधिकतम उपस्थिति-49) (2) भूल हुई या जग में भारी। सुद्ध निज घर की तज डारी।।-(काल का लो झकझोल बचाय। चरन में निस दिन सुरत समाय।।) (प्रेमबानी-1-शब्द-21-पृ.सं.32) (3) यथार्थ प्रकाश-भाग-3
सतसंग के बाद:
- (1) राधास्वामी मूल नाम।।
(2) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।
(3) बढत सतसंग अब दिन दिन। अहा हा हा ओहो हो हो।।
(प्रे. भा. मेलारामजी-फ्राँस)
स्पैशल सतसंग-प्रे. भा. डा०विजय कुमार जी प्रेसीडेंट ऑफ राधास्वामी सतसंग सभा:-
निज रुप पूरे सतगुरु का प्रेम मन मैं छा रहा।
बचन अमृत धार उनके सुन अमी में नहा रहा।
-(सुर्त ने जब धुन को पकडा। आस्माँ पर चढ गई। हो गई काबिल वहाँ पर फिर न कोई गम रहा।।)
(प्रेमबानी-3-गजल-3-पृ.सं.377-378) 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**3) बढत सतसंग अब दिन दिन। अहा हा हा ओहो हो हो।।(प्रे. भा. मेलारामजी-फ्राँस)
स्पैशल सतसंग-प्रे. भा. डा०विजय कुमार जी प्रेसीडेंट ऑफ राधास्वामी सतसंग सभा:-
निज रुप पूरे सतगुरु का प्रेम मन मैं छा रहा।
बचन अमृत धार उनके सुन अमी में नहा रहा।-
(सुर्त ने जब धुन को पकडा। आस्माँ पर चढ गई। हो गई काबिल वहाँ पर फिर न कोई गम रहा।।)
(प्रेमबानी-3-गजल-3-पृ.सं.377-378)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
No comments:
Post a Comment