**राधास्वामी!!* **10-05-2021- आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-*
*(1) सुरत रँगीली सतगुरु प्यारु।लाई आरतु धार।।टेक।। उमँग उमँघ कर सेवा करतीः धर गुरु चरनन प्यार।।-(राधास्वामी दया करी अब। लीन्हा गोद बिठार।।)* *(प्रेमबानी-4-शब्द-13-पृ.सं.150-151- डेढगाँव ब्राँच-अधिकतम उपस्थिति-48)
(2) सतगुरु संत महा उपकारी। जगत उबारन दया बिचारी।।तीरथ मूरत अधिक भुलावें। जप तप संजम बहु भरमावें।।-(सुन्न सरोवर कर अशनाना। हंसन साथ मिलाप बढाना।।) (प्रेमबानी-शब्द-18-पृ.सं.27,28)
(3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।
सतसंग के बाद:-
(1) राधास्वामी मूल नाम।।
(2) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।।
(3) बढत सतसंग अब दिन दिन। अहा हा हा ओहो हो हो।।
(प्रे. भा. मेलारामजी-फ्राँस)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**राधास्वामी!! 10- 05 -2021-
आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन
- कल से आगे:-( 229)-
रही बात ब्रह्म और ईश्वर के असंख्य होने की। इसके लिए उन्हीं महापुरुषों की बानी से प्रमाण उपस्थित किए जा सकते हैं जिनका संबंध परब्रह्मपद से परे के धनी से हुआ। इसलिए श्रीग्रंथसाहब के निम्नलिखित वचनों का अवलोकन करें:-
कोट ब्रह्मांड का ठाकुर स्वामी। सर्व जियां दाता रे।
प्रतिपाले नित सार सम्हाले। इक गुन नहीं मूरख जाता रे।
( सोरठा महल्ला 5, घर 2, चौपदे) केते पवन पानी बैसन्तर। केते कान्ह(कृष्ण) महेस।
केते ब्रह्म घाडत घडिये।रूप रंग के बेस। (जपजी पौड़ी 35)
अनेक पुरुख अंसा अवतार। अनेक इंदर ऊभे दरबार। अनेक आकाश अनेक पाताल। अनेक मुखी जापिये गोपाल। अनेक पुरी अनेक तहाँ खँड। अनेक रूप रंग ब्राह्मडं। अनेक अनाहद अनहद झंकार । ऊ(उसका) आ रस का अंत न पार। सत्तपुरुख सत अस्थान। उच्च ते उच्च निर्बल निरबान।।
इन शब्दों में मालिक को करोड़ों ब्रह्मांड का स्वामी बतलाया है और असंख्य वायु, वरुण, अग्नि, शिव, ब्रह्मा, देवताओं और कृष्णो का उल्लेख है और सत्तपुरुष का सत्यस्थान ऊँचे से ऊँचा ठहराया है। प्रत्येक ब्रह्मांड में एक ब्रह्म और ईश्वर होता है और एक ही वायु, वरुण, अग्नि, शिव, ब्रह्म और विष्णु होता है।**
*(230 )-इसके अतिरिक्त आप यह मानते हैं कि सृष्टि अनेक बार उत्पन्न और लय हो चुकी है और जैसा कि पीछे दिखाया जा चुका है आप "माया के संबंध से ब्रह्म को प्राय : ईश्वर कहते हैं"। इससे प्रकट है कि प्रत्येक सृष्टि के उत्पन्न होने पर एक ईश्वर प्रकट और उसके लय होने पर लय हो गया। इस हिसाब से भी ईश्वरों की संख्या असंख्य सिद्ध होती है।।
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻
यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा
- परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**
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