एक राजा ने दो लोगों को *मौत की सजा* सुनाई...उन दोनों में से एक यह जानता था कि राजा को अपने *घोड़े से बहुत प्यार है।*
उसने राजा से कहा कि यदि मेरी *जान बख्श दी जाए* तो मैं एक साल में उनके *घोड़े को उड़ना* सिखा दूँगा।
यह सुनकर राजा खुश हो गया कि वह दुनिया के *पहले उड़ने वाले घोड़े की सवारी* कर सकता है।
दूसरे कैदी ने अपने मित्र की ओर अविश्वास की नजर से देखा और बोला, तुम जानते हो कि *कोई भी घोड़ा उड़ नहीं सकता!!*
फिर, तुमने इस तरह पागलपन की बात सोची भी कैसे ?
ऐसा करके तुम सिर्फ़, अपनी *मौत को एक साल के लिए टाल रहे हो।*
पहला कैदी बोला, ऐसी बात नहीं है... मैंने दरअसल *खुद को स्वतंत्रता के चार मौके* दिए हैं... कैसे,
•पहली बात, *राजा एक साल के भीतर मर सकता है !*
•दूसरी बात, *मैं मर सकता हूं !*
•तीसरी बात, *घोड़ा मर सकता है !*
•चौथी बात, *हो सकता है मैं घोड़े को उड़ना सिखा ही दूं !!!*
*मॉरल ऑफ द स्टोरी:*
*बुरी से बुरी परिस्थितियों में भी आशा* नहीं छोड़नी चाहिए...क्योंकि,
√ रिकवरी रेट बढ़ रहा हैं,
√ पॉज़िटिवीटी रेट घट रहा हैं,
√ बिस्तर बढ़ रहे हैं,
√ आक़्सिजन बढ़ रही है,
√ इंजेक्शन का *बड़ा उत्पादन* शुरू हो गया है,
√ वैक्सीन आ गई है !!
√ वहीं रेल एक्सप्रेस, वायुयान दौड़ रहे हैं।
√ आयुर्वेद और योग शक्ति दे रहें हैं,
*धेर्य रखें.... हम जीत रहें हैं।*
आत्मविश्वास बनाए रखना है और हर हाल में सकारात्मक रहना है...
*जल्द ही कुछ अच्छा होने वाला है..
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