Sunday, May 23, 2021

सतसंग DB -RS सुबह 24/05

 **राधास्वामी!! 24-05-2021-आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-                                   


 (1) गुरु बिन कभी न उतरे पार ।

नाम बिन कभी न होय उधार।।-

(कहा राधास्वामी अगम बिचार। सुने और माने करे निरवार।।) (सारबचन-शब्द-4-पृ.सं.346,347

-दयाल नगर ब्राँच(विशाखापत्तनम)-

अधिकतम उपस्थिति-84)  

                                                     

(2) गुरु प्यारे करें तेरी आज सहाय।।टेक।।

क्यों घबरावे मन में प्यारी। गुरु परताप रहा हिये छाय।।

-(अपनी दया से राधास्वामी प्यारे। इक दिन देंगे घर पहुँचाय।।)

(प्रेमबानी-3-शब्द-60-पृ.सं.52)

                                                                                                                                

सतसंग के बाद:-                                                 

 (1) राधास्वामी मूल नाम।।                               

 (2) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।                                                                     

(3) बढत सतसँग अब दिन दिन। अहा हा हा ओहो हो हो।।                               

(प्रे.भा.मेलारामजी-फ्राँस)                                       

 🙏🏻राधास्वामी


**परम गुरु हुजूर मेहताजी महाराज

- बचन भाग 1- कल से आगे

:- इसी तरह हुजूर साहबजी महाराज ने जो इंडस्ट्रीज जारी की वे भी बेमिसाल है और यह शब्द भी इस अवसर पर बेमिसाल निकला। इसलिए इस समय जो अनुपम कार्रवाई की जा रही है उसके बदले में राधास्वामी दयाल अवश्य हमारे ऊपर असाधारण दया करेंगे। सत्संग के परम पूज्य संस्थापक हुजूर स्वामीजी महाराज का जन्म जन्माष्टमी के दिन हुआ था, इसलिए यह दिन धन्य है। कल जन्माष्टमी है। इसलिए यदि आप इस अवसर पर दृढ़ संकल्प करें कि आप सब इन दोनों बातों पर पूरे तौर से चलेंगे उसके अनुकूल अपना ढंग बनावेंगे तो वह दयाल न केवल सारी संगत बल्कि सारे देश व सारे संसार पर अवश्य शीघ्र दया करेंगे। इस शब्द के बाद फिर नीचे का शब्द मौज से निकला:-                                

कौन सके गुन गाय तुम्हारे। कौन सके गुन गाये जी।।( प्रेमबिलास -शब्द 24)                                                                     

पाठ के बाद फरमाया- मैंने अभी अर्ज किया कि पिछले शब्द में जो शब्द  'बालक' और 'निहाल' आये हैं उनका इस समय एक खास उद्देश्य था। इस समय बच्चों की पैदाइश, उनके विकास और विवाह के बारे में जो ढंग आपको बतलाये गये उनको यदि आप स्वीकार करें तो उनके अनुसार चलने से कुछ समय बाद यहाँ पर सुपर बच्चे पैदा हो सकते हैं और वे ही 50 वर्षों में सुपरमैन बन सकते हैं । और फिर जो बिनती इस प्रार्थना के शब्द में राजनीति और भक्तिरीति सीखने के बारे में की गई है वह सीख सकते हैं परंतु दृढ़ संकल्प व अमली कार्रवाई के बिना, कोई बड़ा नतीजा नहीं निकल सकता। उसके लिए समय अवश्य चाहिए परंतु सारी संगत को इसके लिए दृढ़ संकल्प करना होगा और कार्यक्षेत्र में आना पड़ेगा।                                                                            

इसके बाद जो बचन पढ़ा गया उसके दो पंक्तियाँ नीचे लिखी जाती है-" इसमें संदेह नहीं कि राधास्वामी दयाल ने यह  एक नई चाल चलाई है परंतु जो लोग सत्संग की इस नई चाल के बारे में तर्क करते हैं उन्हें चाहिए कि पहले उसके प्रत्येक अंग पर अच्छी तरह विचार कर ले।"                                               

अंत में हुजूर मेहतजी महाराज ने फरमाया- अभी नई व बेमिसाल चाल का जिक्र हो रहा था। मैंने भी कहा था कि राधास्वामी दयाल ने सतसंग में नई व बेमिसाल चाल जारी की है। हुजूर साहबजी महाराज ने इस बचन द्वारा मेरी बात का स्पष्ट रूप से समर्थन कर दिया है।

क्रमशः                                           

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻


**राधास्वामी!!-( अमृत -बचन) कल से आगे-( भूमिका)-


इस मुश्किल के हल करने के लिए अगर कोई हौसला करें कि चर्मेंइंद्रियों और वैज्ञानिक पुरुषों के बनाय हुए आला औजारों की मदद से कुल रचना का भेद दरयाफ्त कर ले तो जाहिर है कि ऐसी कोशिश निष्फल रहेगी। इसके लिए यही मुनासिब है कि जैसे सूर्य का हाल दरयाफ्त करने के लिये सूर्य से आई हुई किरण से मदद ली जाती है इसी तरह रचना का भी समझने के लिए चेतन भंडार से आये हुए किरण रुपी सुरत अंश का हाल मुताला किया जावे।

 चुनांचे सुरत अंश के रचे हुए मनुष्य शरीर की मिसाल से साबित किया गया है कि जैसे स्थूल शरीर के परे मन और मन से प्रेम सुरत कायम है वैसे ही रचना में मलिन माया- देश के परे ब्रह्मांडी मन का देश और उसके परे  निर्मल चेतन देश वाकै है और जैसे मनुष्य शरीर का छठा चक्र में मनुष्य की सुरत का निवास स्थान है वैसे ही निर्मल चेतन देश का छठा मुकाम कुल रचना की सुरत यानी चेतन भंडार रचना का स्थान है ।

 यह मालूम होने पर कि चेतन भंडार रचना में किस जगह पर वाकै है सवाल पैदा होता है कि मनुष्य अपनी देह के अंदर रहता हुआ चेतन भंडारा से ताल्लुक क्योंकर पैदा करें। इसके जवाब में बयान किया गया कि मनुष्य के दिमाग के अंदर ऐसे छिद्र या सूराख़ मौजूद हैं जिनके अंदर कायम शक्तियों की मदद से रचना यानी आलमेंकबीर में कुल मुकामों में से उसी तौर पर मेल किया जा सकता है जैसे आँख के छिद्र के मार्फत सूर्य से मेल किया जाता है।

क्रमशः                                                      

 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻


**परम गुरु हुजूर महाराज

-प्रेम पत्र -भाग 2- कल से आगे :-(21)-


 जो लोग की औतार स्वरूप या देवताओं की मूरतें तस्वीरें बना कर पूजते हैं या उनकी ताजीम करते हैं, वह सब सूरते मनुष्य स्वरूप की है ।                                                  

 (22)- इसी तरह से जो कोई किसी महात्मा या बुजुर्ग के निशान या उनकी कोई इस्तेमाल की हुई चीज या उसके कलाम और बचन या उनकी समाध या कब्र या मजार की पूजा भेंट या ताजीम करते हैं, या उनकी कोई चीज वास्ते अपनी रक्षा के इस्तेमाल में लाते हैं, वह भी किसी मनुष्य स्वरूप की प्रसादी या निशान या बचन है, जैसे गुरु और महात्माओं की खड़ाऊँ या जूता या पलंग या कोई कपड़ा या बर्तन या त्रिशूल या सूली का निशान या छोटी तस्वीर या मुसलमानों में कलमा या कोई आयात कुरान की और हिंदुओं में कोई मंत्र या जंत्र सोने, चांदी या ताँबे या भोजपत्र या कागज वगैरह पर लिख कर गले में डालते हैं या बाजुओं पर बाँधते हैं या अँगूठी में रखते हैं।

 क्रमशः                                         

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻


🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏


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