अपने मन में विश्वास बनाए रखें* *इस दुख के समय में डगमगाए नहीं*
हमेशा याद रखें कि मालिक हमें दुखी देखकर खुश नहीं होते l वे दयाल तो अपने प्यारे बच्चों को हमेशा ही खुश रखना चाहते हैं सदैव ही उनकी रक्षा करते हैं l हर व्यक्ति के कर्मों का लेखा जोखा केवल उन्हीं के पास है केवल वह दयाल ही जानते हैं अंतर का हाल हम नहीं जानते इसीलिए कोई भी टिप्पणी करना गलत होगा l
*सदैव याद रखिए*
*राधास्वामी दयाल सूली का कांटा बना देते हैं l* अर्थात हमारे कर्मों को सहज ही काट देते हैं l उनसे से दयालु तो कोई है ही नहीं l
सुख में उनका शुकराना करना आसान है लेकिन इस दुख की घड़ी में भी हमें याद रखना है कि जो हो रहा है वह मालिक की दया से बहुत अच्छा हो रहा है क्या पता इससे भी और बुरा कुछ होता अभी तो मालिक हम सब की संभाल कर रहे है l
इसीलिए हम सबको मन से भी इसे मानना है कि
*राधास्वामी रक्षक जीव के जीव न जाने भेद*
*गुरु चरित्र जाने नहीं रहे कर्म के खेद।*
*राधास्वामी मेरे प्यारे राधास्वामी*
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