रविवार सूर्यदेव : भगवान को समर्पित भगवान भास्कर को प्रणाम 🙏🙏🙏🙏🙏
प्रस्तुति - पौराणिक कथाएं
सूर्यदेव ही भुवन भास्कर भगवान सूर्यनारायण तथा प्रत्यक्ष देवता हैं, जिनके दर्शन हम प्रति दिन कर सकते है वह प्रकाश रूप हैं। उपनिषदों में भगवान सूर्य के तीन रूप माने गए हैं- (1) निर्गुण, निराकार, (2) सगुण निराकार तथा (3) सगुण साकार। यद्यपि सूर्य निर्गुण निराकार हैं तथा अपनी माया शक्ति के संबंध में सगुण आकार भी हैं।
भगवान सूर्यदेव की महिमा:-
सूर्यदेव से अधिक निरंतर रहने वाला कोई देवता नहीं है। इन्हीं से यह जगत उत्पन्न होता है और अंत समय में इन्हीं में लय को प्राप्त होता है। कृत आदि लक्षणों वाला यह काल भी दिवाकर ही कहा गया है। जितने भी ग्रह-नक्षत्र, करण, योग, राशियां, आदित्य गण, वसुगण, रुद्र, अश्विनी कुमार, वायु, अग्नि, शुक्र, प्रजापति, समस्त भूर्भुव: स्व: आदि लोक, संपूर्ण नग (पर्वत), नाग, नदियां, समुद्र तथा समस्त भूतों का समुदाय है, इन सभी के हेतु दिवाकर ही हैं।
इन्हीं से यह जगत स्थित रहता है, अपने अर्थ में प्रवृत्त होता तथा चेष्टाशील होता हुआ दिखाई पड़ता है। इसके उदय होने पर सभी का उदय होता है और अस्त होने पर सभी अस्तगत हो जाते हैं। तात्पर्य यह कि इनसे श्रेष्ठ देवता न हुए हैं, न भविष्य में होंगे।
अत: समस्त वेदों में वे परमात्मा के नाम से पुकारे जाते हैं। इतिहास और पुराणों में इन्हें 'अंतरात्मा' नाम से अभिहित किया गया है, जैसे भगवान विष्णु का स्थान वैकुंठ, भूतभावन शंकर का कैलाश तथा चतुर्मुख ब्रह्मा का स्थान ब्रह्मलोक है। वैसे ही भुवन भास्कर सूर्य का स्थान आदित्यलोक सूर्य मंडल है।
ॐ भास्कराय नमः
जय सूर्य देव 🌞
🙏 जय श्री सूर्यनारायण🙏🙏🙏🙏🙏
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