**राधास्वामी!! 19-05-2021-आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) आओ गुरु दरबार री। मेरी प्यारी सुरतिया।।टेक।। जगत अगिन में क्यों तू जलती। न्हावो सीतल धार री।। मेरी प्यारी सुरतिया।।-(राधास्वामी सरन धार हिये अपने। कर ले जीव उपकार री।। मेरी प्यारी सुरतिया।।)
(प्रेमबानी-2-शब्द-10-पृ.सं.343,344,
-डेढगाँव ब्राँच-आधिकतम उपस्थिति-93)
(2) करो जुगत प्यारी घर के चलन की।।टेक।। जगत भाव तज शब्द सम्हालो। यह मारग है स्वामी मिलन की।।-(नित गुन गाऊँ भाग सराहूँ। मैं हुई दासी राधास्वामी चरन की।।)
(प्रेमबानी-1-शब्द-24-पृ.सं.35,36)
(3) यथार्थ प्रकाश-भाग तीसरा-कल से आगे।।
सतसंग के बाद:-
(1) राधास्वामी मूल नाम।।
(2) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।
(3) बढत सतसंग अब दिन दिन। अहा हा हा ओहो हो हो।।
(प्रे. भा. मेलारामजी-फ्राँस)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
**राधास्वामी!! 19 -05- 2021
- आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन:-
कल से आगे:-( 3)
-इन बातों का परिणाम यह है कि सत्संगी देखने में सीधा- सादा और भोला- भाला होता है पर अंतर में पर्याप्त- रूप से जागृत और चौकन्ना रहता है । उसकी दृष्टि सदा प्रमार्थी निशाने पर रहती है। जो कार्यवाही उसे प्रमार्थी निशाने से हटावे वह उसे विष-तुल्य दिखाई देती है और जो परमार्थी निशाने की ओर ले जाय अमृत- समान दरसती है।
अपने विचारों में दृढ़ संकल्पों में रहने से एकाएक संसार की तरंगों में बहने नहीं पाता। जब कभी वह अपने को विवश देखता है तब सत्संग के अधिष्ठाता की ओर शिक्षा के लिए झुकता है और संतोषजनक शिक्षा पाकर चस पर जी जान से आचरण करता है।
असलियत को न जानने वाले लोग सत्संगियों यू के इस ढंग को "भेडिया- घसान कहते हैं और अपनी हवाघड़ी की सी चाल को स्वतंत्र और विद्वानों का सा ढंग ठहराते हैं।
क्रमशः🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻
यथार्थ प्रकाश- भाग तीसरा -
परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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