*चार बुढ़िया थीं।*
*उनमें विवाद का विषय था*
*कि हम में बड़ी कौन है ?*
जब वे बहस करते-करते
थक गयीं तो उन्होंने तय
किया कि पड़ौस में जो
नयी बहू आयी है,
उसके पास चल कर
फैसला करवायें।
👱🏻♀️
वह चारों बहू के पास गयीं।
बहू-बहू ! हमारा फैसला कर दो
कि हम में से कौन बड़ी है ?
*बहू ने कहा कि आप*
*अपना-अपना परिचय दो !*
*पहली बुढ़िया ने कहा*
*मैं भूख हूं। मैं बड़ी हूं न?*
बहू ने कहा कि
भूख में विकल्प है ,
५६ व्यंजन से भी भूख मिट सकती है ,
और बासी रोटी से भी !
*दूसरी बुढ़िया ने कहा*
*मैं प्यास हूं,*
*मैं बड़ी हूं न ?*
बहू ने कहा कि
प्यास में भी विकल्प है,
प्यास गंगाजल और मधुर- रस
से भी शान्त हो जाती है और
वक्त पर तालाब का गन्दा पानी
पीने से भी प्यास बुझ जाती है।
*तीसरी बुढ़िया ने कहा*
*मैं नींद हूं,मैं बड़ी हूं न ?*
बहू ने कहा कि
नींद में भी विकल्प है।
नींद सुकोमल-सेज पर आती है
किन्तु वक्त पर लोग कंकड-पत्थर
पर भी सो जाते हैं।
*अन्त में चौथी बुढ़िया ने कहा >*
*मैं आस (आशा) हूं,मैं बड़ी हूं न ?*
*बहू ने उसके पैर छूकर कहा कि*
*आशा का कोई विकल्प नहीं है।*
आशा से मनुष्य सौ बरस भी जीवित रह सकता है,किन्तु यदि आशा टूट जाये तो वह जीवित नहीं रह सकता,
भले ही उसके घर में करोडों की
धन दौलत भरी हो।
यह आशा और विश्वास जीवन
की शक्ति है, इसके आगे
वह वायरस *(कोरोना)* क्या चीज है ?
संकट जरूर है, वैश्विक भी है.
लेकिन इसी विष में से अमृत निकलेगा.
निश्चित ही मनुष्य विजयी होगा,
मनुष्यता जीतेगी |
*तूफान तो आना है* ...
*आकर चले जाना है* ..
*बादल है ये कुछ पल का* ...
*छा कर चले जाना है* !!!
रिकवरी रेट बढ़ रहा हैं,
कोराना पॉज़िटिवीटी रेट घट रहा हैं,
अस्पतालों में लगातार बिस्तर भी बढ़ रहे हैं,
ऑक़्सिजन भी बढ़ रही है,
इंजेक्शन का बड़ा उत्पादन शुरू हो गया है।
मदद के लिए रेल एक्सप्रेस दौड़ रही है,
वायु यान उड़ रहे है,
आयुर्वेद और योग हमें शक्ति दे रहा हैं,
धेर्य रखें हम जीत रहें हैं।
आत्मविश्वास बनाए रखना है और सकारात्मक समाचारों को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाए,ताकि समाज में एक अच्छा मैसेज जाए।
*माना कि अंधेरा घना है* ,
*फिर भी दिया जलाना कहां मना है*...🌹 राधे राधे 🌹
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