राधास्वामी!!
09-05- 2020
-आज शाम के सत्संग में पढ़े गए पाठ-
(1) चल खेलिये सतगुरु से । रंग होली आज सखी री।। टेक।।( प्रेमबानी- भाग-3, शब्द 5, पृष्ठ संख्या 250)
(2) जो जबाँ यारी करें खुलकर सुना। आज दिल को राग बज्मे यार का ।।। प्रेमियों की चाल है जग से जुदा जानते हैं प्रेमी इसको बेवफा।।( प्रेमबिलास- शब्द 110- पृष्ठ संख्या 164)
( 3) सत्संग के उपदेश -भाग तीसरा ।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
राधास्वामी!!
09-05 -2020 -
आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन-
कल से आगे-( 132)
जिन सतसंगीयो को दो-चार मर्तबा भी अभ्यास दुरुस्ती से बन पड़ने का तजुर्बा हासिल है वे जानते हैं कि आध्यात्मिक उन्नति के लिए तवज्जुह का अंतरमुख होना निहायत जरूरी है और तवज्जूह के अंतरंर्मुख होने में वह रस व आनंद है कि संसार के किसी सामान के भोग में नहीं है ।
लेकिन चूँकि यह तजरुबा व ज्ञान आम लोगों को प्राप्त नहीं है और आप लोग मन व इंद्रियों ही के भोग रस से वाकिफ हैं इसलिए उनकी देखादेखी बाज सत्संगी दुनियावी बेहतरी व भोग के सामान मुहैया होने पर दिल में निहायत खुश होते हैं और उसे खास दया समझ कर मालिक का बार-बार शुकराना बजा लाते हैं।
मगर मालूम होवे कि दुनियावी तरक्की हर इंसान को ज्यादातर उसके शुभ कर्मों की वजह से हासिल होती है । सत्संगी को चाहिए कि अपना जाती तजुर्बा याद रख कर मालिक की खास दया उस हालत में माने जब उसकी तवज्जुह का रुख अंतर्मुख हो क्योंकि अध्यात्मिक उन्नति की पहली अलामत तवज्जुह का अंतरमुख होना ही है ।
अक्सर देखा गया कि जाहिरा दुख व तकलीफ की हालत नमूदार होने पर सत्संगी का दिल संसार से उदास हो गया और उसकी तवज्जुह अंतर में लग गई। दुनिया के लोग, जिनकी दृष्टि बाहरी बातों पर पड़ती है, ऐसी हालत को मालिक की नाराजगी से मौसूम करेंगे मगर समझदार प्रेमी इसे मालिक की खाह दया तसव्वुर करेगा।
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻
सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय राधास्वामी
।।।।।।।।।।।।।
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