Saturday, May 9, 2020

खुशहाल जीवन का भावार्थ



एक खुशहाल जिन्दगी कौन नहीं चाहता ? परन्तु सच यह भी है कि खुशहाल जिन्दगी का असली आनन्द बहुत कम लोग ही उठा पाते हैं !
सवाल है कि आखिर हम ऐसा क्या करें कि खुशी का आनन्द उठा सकें !जो खुश रहते हैं वे ऐसा करते क्या हैं जो उन्हें दूसरों से अलग श्रेणी में ला खड़ा करता है ! बेशक वे भी हम सबकी तरह ही रहते हैं लेकिन उनका नजरिया हमसे थोड़ा अलग होता है  ! जीवन के प्रति उनका दृष्टिकोण भिन्न होता है !सकारात्मक नजरिया उनके सहज और स्वाभाविक जीवन का हिस्सा होता है !  हममें से अधिकतर की तरह न तो वे नकारात्मक चीजों की ओर आकर्षित होते हैं और न ही वैसा रवैया रखने वाले लोगों से प्रभावित होते हैं ! वे संसार को आशावादी चश्मे से देखते हैं और दोषपूर्ण पक्षों को नजरंदाज कर दिया करते हैं ! खुशियाँ हमारे आसपास ही हैं लेकिन हम उनका आनंद न उठा कर नकारात्मक चीजें जो दुखी करती हैं उनको अपने विचारों में समाविष्ट कर लेते हैं और उपलब्ध खुशियों को नजरअंदाज कर दुखी होते हैं ! जीवन में खुशियाँ और हर तरह की समृद्धि पाने के लिए आपको पहले अपना नजरिया बदलने की जरूरत है ! हर घटना और परिस्थिति को सकारात्मक नजरिये से देखिये !

             यहाँ तक कि गलतियाँ और संकटकालीन परिस्थितियाँ भी इंसान को मजबूत बनना सिखाती हैं ! वस्तुत: बुराई में भी कुछ-न-कुछ अच्छाई छिपी होती है ! हालांकि अपने साथ हुई दुर्घटनाओं को आप नहीं बदल सकते लेकिन उन पर कैसी प्रतिक्रिया होनी चाहिए, इसे नियंत्रित कर सकते हैं ! सकारात्मक दॄष्टिकोण अपनाने से ही आप सही निर्णय ले पाएंगे, जिससे मनचाहे परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं ! सकारात्मकता आपमें न केवल आत्मविश्वास भरती है, बल्कि अपने उद्देश्यों को पाने की सामर्थ्य भी बढ़ाती है !

     जो कुछ भी हमारे पास है, उसके लिए हमें ज्यादा से ज्यादा धन्यवाद अदा करना चाहिए ताकि ब्रह्मांड को यह पता चले कि हम किन चीजों का मूल्य समझते हैं और वह हमें वे चीजें अधिक से अधिक दे सके ! किसी भी स्थिति, व्यक्ति या वस्तु के प्रति शंकालु दृष्टि से बचिए, चाहे वह आपके लिए कम मूल्यवान ही क्यों न हो ! इससे आपमें जीवन को लेकर बहुत संतुष्टि का अहसास होगा !               

      मुकाबले से बचिए क्योंकि दूसरों के साथ लगातार मुकाबला करने से न केवल खुद का आत्मसम्मान गिरता है बल्कि बेचैनी बढ़ती है और जीवन के प्रति नजरिए में भी गिरावट आती है हाँ, दूसरों की अच्छी चीजों या आदतों को अपने जीवन में उतारना अच्छी बात है ! इससे आत्मसम्मान में बढ़ोतरी होती है !

        क्या आपने कभी किसी के लिए बिना शर्त बिना कुछ बदले में पाने की इच्छा के कुछ किया है ? अगर हाँ, तब आप अच्छी तरह समझ रहे हैं कि  ’दयालु बनने’ का क्या अर्थ है जब भी आप अपना ‘इगो’ भुलाकर किसी की मदद करते हैं तो आपको एक आन्तरिक खुशी का अहसास होता है और असलियत में एक इन्सानियत की भावना प्रकट होती है इसलिए जीवन में जब भी ऐसे अवसर प्राप्त हों उन्हें हाथ से जाने मत दीजिये !

     अपने मन में पीड़ा, दर्द या गुस्सा दबाकर रखना हमारे लिए एक सामान्य-सी घटना है ! अगर किसी ने आपके साथ कुछ बुरा बर्ताव किया है तो आप लगातार उसके लिए मन में बैर भाव बनाए रखते हैं क्या इससे कोई लाभ मिलता है ? नहीं , बल्कि इससे आपको न केवल परेशानी होती रहती है बल्कि आपके चारों ओर एक नकारात्मक ऊर्जा का संचय होने लगता है जो आपको लगातार दुखी रखता है ! इसे छोड़िये , भूल जाइये , माफ करना सीखिये , यह मान कर चलिये कि उसकादंड प्रकृति उसे खुद देगी !

        हरेक इन्सान को एक सामाजिक सुरक्षा की जरुरत महसूस होती है यानी उसे दोस्तों, परिवार वालों और साथियों के स्नेह की आवश्यकता पड़ती है इसलिए अच्छे रिश्तों की खातिर अकेलेपन के खयाल को मन से निकाल दीजिए और मित्रों तथा परिजनों के साथ वक्त बिताना शुरू कीजिए !

     खुद को प्यार कीजिए. अच्छा खाइए और रोज व्यायाम कीजिए ताकि स्वस्थ एवं तंदुरुस्त रह सकें. आपका शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक स्वास्थ्य आपस में एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है !

  इन्हें नियमित रूप से अपनाने से आपको धीरे-धीरे जीवन में वास्तविक खुशियों का अहसास होने लगेगा !

जय श्री राधेकृष्ण ! मंगलमय दिवस हो  , आप सुखी हों इसी कामना के साथ नमस्कार  !

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