: हनुमान जी भीम संवाद
हनुमान जी की बातों से भीम को काफी प्रसन्नता हुई. और उन्होंने बोला कि समुंद्र को लांघते वक्त जिस विशाल रूप को आपने धारण किया था, मैं भी उसे देखना चाहता हूं. भीम ने जब ऐसा कहा तो हनुमान जी ने कहा कि तुम मेरे उस रूप को नहीं देख पाओगे. और कोई दूसरा पुरुष भी मेरे उस रूप को नहीं देख सकता. सतयुग का समय दूसरा था. द्वापर और त्रेता का भी दूसरा है. काल हमेशा क्षय करने वाला होता है. अब मेरा वो रूप है ही नहीं. इसपर भीम ने कहा कि आप मुझे युगों के बारे में बताएं. भीम के अनुरोध पर हनुमान जी ने कृतयुग, त्रेतायुग और फिर द्वापर युग व अंत में कलयुग के बारे में कहा.
हनुमान जी ने भीम को अपना विशाल रूप दिखाया
हनुमान जी की बातों से प्रसन्न होते हुए फिर से भीम ने आग्रह किया कि वो अपना विशाल रूप दिखाएं. और कहा कि जब तक आप मुझे अपना वो रुप नहीं दिखाएंगे मैं यहां से कहीं नहीं जाऊंगा. यदि मेरे ऊपर आपकी कृपा है, तो मुझे आप अपने उस दिव्य रुप के दर्शन कराएं. भीम के ऐसा कहने पर हनुमान जी ने उन्हें अपने स्वरूप का दर्शन दिया. और भीम को अपने गले से लगा लिया. ऐसा करने से भीम की सारी थकान दूर हो गई. और वे हर तरह से अनुकूलता का अनुभव करने लगे.
हनुमान जी ने भीम को दिया था ये वरदान
हनुमान जी ने भीम से कहा कि तुम मेरे भाई हो और मैं तुम्हारा प्रिय करूंगा. जिस वक्त तुम शत्रु की सेना में पहुंच कर सिंहनाद करोगे, मैं उस समय अपने शब्दों से तुम्हारी गर्जना को बढ़ा दिया करूंगा. और अर्जुन के रथ की ध्वजा पर बैठकर ऐसी गर्जना करूंगा कि शत्रुओं के प्राण सूख जाएंगे. और उन्हें मारने में तुम्हें आसानी होगी. ऐसा कहने के बाद भीमसेन को हनुमान जी ने मार्ग दिखाया और फिर वहां से अंतर्ध्यान हो गए. इसलिए जब महाभारत का युद्ध हो रहा था, तो भगवान श्री हनुमान अर्जुन की रथ की ध्वजा पर बैठे रहे और उन्होंने संपूर्ण युद्ध में अपनी मौजूदगी से भीम की सहायता की. और युद्ध की समाप्ति होते हीं वो वहां से चले गए. और उनके रथ पर से जाते हीं अर्जुन का रथ जलकर राख हो गया था. भगवान हनुमान ने भीम को वरदान तो दिया हीं, साथ हीं उन्होंने भीम के घमंड को भी बहुत हीं चालाकी से चूर-चूर कर दिया.
[05/05, 7:56 am] ❓: 🌹🍁🌹🍁🌹🍁🌹
*👉🏿मृत्यु एक सत्य हैं*
एक राधेश्याम नामक युवक था | स्वभाव का बड़ा ही शांत एवम सुविचारों वाला व्यक्ति था | उसका छोटा सा परिवार था जिसमे उसके माता- पिता, पत्नी एवम दो बच्चे थे | सभी से वो बेहद प्यार करता था |
इसके अलावा वो कृष्ण भक्त था और सभी पर दया भाव रखता था | जरूरतमंद की सेवा करता था | किसी को दुःख नहीं देता था | उसके इन्ही गुणों के कारण श्री कृष्ण उससे बहुत प्रसन्न थे और सदैव उसके साथ रहते थे | और राधेश्याम अपने कृष्ण को देख भी सकता था और बाते भी करता था | इसके बावजूद उसने कभी ईश्वर से कुछ नहीं माँगा | वह बहुत खुश रहता था क्यूंकि ईश्वर हमेशा उसके साथ रहते थे | उसे मार्गदर्शन देते थे | राधेश्याम भी कृष्ण को अपने मित्र की तरह ही पुकारता था और उनसे अपने विचारों को बाँटता था |
एक दिन राधेश्याम के पिता की तबियत अचानक ख़राब हो गई | उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया | उसने सभी डॉक्टर्स के हाथ जोड़े | अपने पिता को बचाने की मिन्नते की | लेकिन सभी ने उससे कहा कि वो ज्यादा उम्मीद नहीं दे सकते | और सभी ने उसे भगवान् पर भरोसा रखने को कहा |
तभी राधेश्याम को कृष्ण का ख्याल आया और उसने अपने कृष्ण को पुकारा | कृष्ण दौड़े चले आये | राधेश्याम ने कहा – मित्र ! तुम तो भगवान हो मेरे पिता को बचा लो | कृष्ण ने कहा – मित्र ! ये मेरे हाथों में नहीं हैं | अगर मृत्यु का समय होगा तो होना तय हैं | इस पर राधेश्याम नाराज हो गया और कृष्ण से लड़ने लगा, गुस्से में उन्हें कौसने लगा | भगवान् ने भी उसे बहुत समझाया पर उसने एक ना सुनी |
तब भगवान् कृष्ण ने उससे कहा – मित्र ! मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूँ लेकिन इसके लिए तुम्हे एक कार्य करना होगा | राधेश्याम ने तुरंत पूछा कैसा कार्य ? कृष्ण ने कहा – तुम्हे ! किसी एक घर से मुट्ठी भर ज्वार लानी होगी और ध्यान रखना होगा कि उस परिवार में कभी किसी की मृत्यु न हुई हो | राधेश्याम झट से हाँ बोलकर तलाश में निकल गया | उसने कई दरवाजे खटखटायें | हर घर में ज्वार तो होती लेकिन ऐसा कोई नहीं होता जिनके परिवार में किसी की मृत्यु ना हुई हो | किसी का पिता, किसी का दादा, किसी का भाई, माँ, काकी या बहन | दो दिन तक भटकने के बाद भी राधेश्याम को ऐसा एक भी घर नहीं मिला |
तब उसे इस बात का अहसास हुआ कि मृत्यु एक अटल सत्य हैं | इसका सामना सभी को करना होता हैं | इससे कोई नहीं भाग सकता | और वो अपने व्यवहार के लिए कृष्ण से क्षमा मांगता हैं और निर्णय लेता हैं जब तक उसके पिता जीवित हैं उनकी सेवा करेगा |
थोड़े दिनों बाद राधेश्याम के पिता स्वर्ग सिधार जाते हैं | उसे दुःख तो होता हैं लेकिन ईश्वर की दी उस सीख के कारण उसका मन शांत रहता हैं |
दोस्तों इसी प्रकार हम सभी को इस सच को स्वीकार करना चाहिये कि मृत्यु एक अटल सत्य हैं उसे नकारना मुर्खता हैं | दुःख होता हैं लेकिन उसमे फँस जाना गलत हैं क्यूंकि केवल आप ही उस दुःख से पिढीत नहीं हैं अपितु सम्पूर्ण मानव जाति उस दुःख से रूबरू होती ही हैं | ऐसे सच को स्वीकार कर आगे बढ़ना ही जीवन हैं |
कई बार हम अपने किसी खास के चले जाने से इतने बेबस हो जाते हैं कि सामने खड़ा जीवन और उससे जुड़े लोग हमें दिखाई ही नहीं पड़ते | ऐसे अंधकार से निकलना मुश्किल हो जाता हैं | जो मनुष्य मृत्यु के सत्य को स्वीकार कर लेता हैं उसका जीवन भार विहीन हो जाता हैं और उसे कभी कोई कष्ट तोड़ नहीं सकता | वो जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ता जाता हैं |
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[05/05, 7:56 am] ❓: 🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺
*********|| जय श्री राधे ||*********
🌺🙏 *महर्षि पाराशर पंचांग* 🙏🌺
🙏🌺🙏 *अथ पंचांगम्* 🙏🌺🙏
*********ll जय श्री राधे ll*********
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*दिनाँक -: 05/05/2020,मंगलवार*
त्रयोदशी, शुक्ल पक्ष
वैशाख
'""""""""""""""""""""""""""'""''"""""""(समाप्ति काल)
तिथि -------त्रयोदशी 23:20:31 तक
पक्ष ---------------------------शुक्ल
नक्षत्र -----------हस्त 16:37:52
योग --------------वज्र 24:41:18
करण ---------कौलव 13:07:56
करण -----------तैतुल 23:20:31
वार -----------------------मंगलवार
माह -------------------------- वैशाख
चन्द्र राशि -----कन्या 27:14:20
चन्द्र राशि ----------------------तुला
सूर्य राशि ---------------------मेष
रितु ----------------------------वसंत
सायन --------------------------ग्रीष्म
आयन --------------------उत्तरायण
संवत्सर -----------------------शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) -------------प्रमादी
विक्रम संवत ----------------2077
विक्रम संवत (कर्तक)------2076
शाका संवत ----------------1942
वृन्दावन
सूर्योदय -----------------05:37:58
सूर्यास्त -----------------18:54:06
दिन काल ---------------13:16:07
रात्री काल -------------10:43:08
चंद्रोदय -----------------16:40:58
चंद्रास्त -----------------28:50:45
लग्न ---- मेष 20°50' , 20°50'
सूर्य नक्षत्र -------------------भरणी
चन्द्र नक्षत्र ---------------------हस्त
नक्षत्र पाया --------------------रजत
*🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩*
ष ----हस्त 05:59:37
ण ----हस्त 11:19:03
ठ ----हस्त 16:37:52
पे ----चित्रा 21:56:14
पो ----चित्रा 27:14:20
*💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮*
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
=======================
सूर्य=मेष 20°22 ' भरणी, 3 ले
चन्द्र =कन्या 16°23 ' हस्त ' 2 ष
बुध = मेष 20°10 ' भरणी ' 3 ले
शुक्र= वृषभ 26°55, मृगशिरा ' 1 वे
मंगल=मकर 29°30' धनिष्ठा ' 2 गी
गुरु=मकर 02°50 ' उ oषाo , 2 भो
शनि=मकर 07°43' उ oषा o ' 4 जी
राहू=मिथुन 07°30 ' आर्द्रा , 1 कु
केतु=धनु 07 ° 30 ' मूल , 3 भा
*🚩💮🚩शुभा$शुभ मुहूर्त🚩💮🚩*
राहू काल 15:35 - 17:15 अशुभ
यम घंटा 08:57 - 10:37 अशुभ
गुली काल 12:16 - 13:56 अशुभ
अभिजित 11:50 -12:43 शुभ
दूर मुहूर्त 08:17 - 09:10 अशुभ
दूर मुहूर्त 23:12 - 24:05* अशुभ
💮चोघडिया, दिन
रोग 05:38 - 07:17 अशुभ
उद्वेग 07:17 - 08:57 अशुभ
चर 08:57 - 10:37 शुभ
लाभ 10:37 - 12:16 शुभ
अमृत 12:16 - 13:56 शुभ
काल 13:56 - 15:35 अशुभ
शुभ 15:35 - 17:15 शुभ
रोग 17:15 - 18:54 अशुभ
🚩चोघडिया, रात
काल 18:54 - 20:15 अशुभ
लाभ 20:15 - 21:35 शुभ
उद्वेग 21:35 - 22:55 अशुभ
शुभ 22:55 - 24:16* शुभ
अमृत 24:16* - 25:36* शुभ
चर 25:36* - 26:56* शुभ
रोग 26:56* - 28:17* अशुभ
काल 28:17* - 29:37* अशुभ
💮होरा, दिन
मंगल 05:38 - 06:44
सूर्य 06:44 - 07:51
शुक्र 07:51 - 08:57
बुध 08:57 - 10:03
चन्द्र 10:03 - 11:10
शनि 11:10 - 12:16
बृहस्पति 12:16 - 13:22
मंगल 13:22 - 14:29
सूर्य 14:29 - 15:35
शुक्र 15:35 - 16:41
बुध 16:41 - 17:48
चन्द्र 17:48 - 18:54
🚩होरा, रात
शनि 18:54 - 19:48
बृहस्पति 19:48 - 20:41
मंगल 20:41 - 21:35
सूर्य 21:35 - 22:28
शुक्र 22:28 - 23:22
बुध 23:22 - 24:16
चन्द्र 24:16* - 25:09
शनि 25:09* - 26:03
बृहस्पति 26:03* - 26:56
मंगल 26:56* - 27:50
सूर्य 27:50* - 28:44
शुक्र 28:44* - 29:37
*नोट*-- दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*💮दिशा शूल ज्ञान-------------उत्तर*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*🚩 अग्नि वास ज्ञान -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
13 + 3 + 1 = 17 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
*💮 शिव वास एवं फल -:*
13 + 13 + 5 = 31 ÷ 7 = 3 शेष
वृषभारूढ़ = शुभ कारक
*🚩भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮*
* भौम प्रदोष व्रत (शिव पूजन)
* श्री निम्बार्क तपस्थली पर श्रीनिम्बार्क राधाकृष्णबिहारी जी 33वां पाटोत्सव
*💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮*
किं कुलेन विशालेन विद्याहीनेन देहिनाम् ।
दुष्कुलं चापि विदुषी देवैरपि हि पूज्यते ।।
।।चा o नी o।।
क्या करना उचे कुल का यदि बुद्धिमत्ता ना हो. एक नीच कुल में उत्पन्न होने वाले विद्वान् व्यक्ति का सम्मान देवता भी करते है.
*🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩*
गीता -: विश्वरूपदर्शनयोग अo-11
मन्यसे यदि तच्छक्यं मया द्रष्टुमिति प्रभो ।,
योगेश्वर ततो मे त्वं दर्शयात्मानमव्ययम् ॥,
हे प्रभो! (उत्पत्ति, स्थिति और प्रलय तथा अन्तर्यामी रूप से शासन करने वाला होने से भगवान का नाम 'प्रभु' है) यदि मेरे द्वारा आपका वह रूप देखा जाना शक्य है- ऐसा आप मानते हैं, तो हे योगेश्वर! उस अविनाशी स्वरूप का मुझे दर्शन कराइए॥,4॥,
*💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮*
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
🐏मेष
घर-बाहर पूछ-परख रहेगी। मेहनत का फल मिलेगा। आय में वृद्धि होगी। पारिवारिक सदस्यों व मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा। कोई बड़ी समस्या दूर हो सकती है। प्रसन्नता में वृद्धि होगी। जल्दबाजी न करें। महत्वाकांक्षाएं बढ़ेंगी। प्रयास अधिक करें।
🐂वृष
मेहनत की अधिकता से स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। बुरी खबर मिल सकती है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। अपेक्षित कार्यों में विलंब होने से तनाव रहेगा। विवेक व धैर्य का प्रयोग करें। लाभ होगा। जोखिम व जमानत के कार्य बिलकुल न करें।
👫मिथुन
परिवार के साथ मनोरंजक यात्रा हो सकती है। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। स्वादिष्ट भोजन का आनंद मिलेगा। धन प्राप्ति सुगम होगी। किसी प्रभावशाली व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त होगा। क्रोध व आलस्य पर नियंत्रण रखें। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।
🦀कर्क
संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। बेरोजगारी दूर होगी। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। पार्टनरों से मतभेद दूर होंगे। कोई बड़ा काम करने की योजना बनेगी। भाग्य का साथ मिलेगा। विवाद को बढ़ावा न दें। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। घर-बाहर प्रसन्नता रहेगी।
🐅सिंह
किसी वरिष्ठ व्यक्ति का मार्गदर्शन व सहयोग प्राप्त होगा। व्यवसाय लाभदायक रहेगा। वैवाहिक प्रस्ताव मिल सकता है। यात्रा में जल्दबाजी न करें। विवाद से बचें। छोटे भाइयों का सहयोग प्राप्त होगा। कोई ऐसा उपाय न करें जिससे कानूनी उलझन हो।
🙎कन्या
स्वास्थ्य खराब हो सकता है। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। वाहन व मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। कुसंगति से बचें। बाहर जाने का मन बनेगा। थकान तथा चिंता रहेगी। जोखिम न उठाएं।
⚖तुला
तंत्र-मंत्र में रुचि रहेगी। देवदर्शन के लिए यात्रा हो सकती है। सत्संग का लाभ मिलेगा। किसी प्रभावशाली व्यक्ति से मुलाकात हो सकती है। आय में वृद्धि होगी। थकान रहेगी। घर-परिवार व मित्रों के साथ अच्छा समय व्यतीत होगा। प्रसन्नता रहेगी।
🦂वृश्चिक
नई योजना फलीभूत होगी। कार्यस्थल पर परिवर्तन संभव है। नए अनुबंध हो सकते हैं। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। व्यवसाय मनोनुकूल चलेगा। ऐश्वर्य के साधनों पर खर्च होगा। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। सौभाग्य वृद्धि होगी। जोखिम न लें।
🏹धनु
यात्रा लाभदायक रहेगी। रोजगार में वृद्धि होगी। डूबी हुई रकम प्राप्त हो सकती है। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। प्रतिद्वंद्विता बढ़ेगी। भाग्य का साथ मिलेगा। धनार्जन होगा। प्रमाद न करें।
🐊मकर
अप्रत्याशित खर्च होगा। कर्ज लेना पड़ सकता है। पुराना रोग उभर सकता है। क्रोध व उत्तेजना पर नियंत्रण रखें। दूसरों से अपेक्षा न करें। बनते का बिगड़ सकते हैं। परिवार से सहयोग नहीं मिलेगा। तनाव बढ़ेगा। व्यवसाय लाभदायक रहेगा। आय में कमी होगी।
🍯कुंभ
नवीन वस्त्राभूषण के लिए व्यय होगा। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। कोई बड़ा कार्य सहज ही होगा। यात्रा लाभदायक रहेगी। शत्रु परास्त होंगे। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। पार्टनरों से मतभेद दूर होंगे। भाग्य का साथ मिलेगा। मित्र व संबंधी से मेल बढ़ेगा।
🐟मीन
घर में अतिथियों का आगमन होगा। उत्साहजनक सूचना प्राप्त होगी। मान बढ़ेगा। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। घर-परिवार की चिंता रहेगी। चोट व रोग से हानि संभव है। बेचैनी रहेगी। धन प्राप्ति सुगम होगी। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। किसी बड़े काम को करने का मन बनेगा।
🙏आपका दिन मंगलमय हो🙏
🌺🌺🌺🌺🙏🌺🌺🌺🌺
*आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)*
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
❓: *🙏🏻🙏🏻💐सच्चा समर्पण💐🙏🏻🙏🏻*
*जय जिनेन्द्र*
*एक बुढ़िया जो कुछ उसके पास होता सभी परमात्मा पर चढ़ा देती। यहां तक कि सुबह वह जो घर का कचरा वगैरह फेंकती, वह भी घूरे पर जाकर कहती: तुझको ही समर्पित। लोगों ने जब यह सुना तो उन्होंने कहा, यह तो हद हो गई ! फूल चढ़ाओ, मिष्ठान चढ़ाओ...कचरा ?*
*एक फकीर गुजर रहा था, उसने एक दिन सुना कि वह बुढ़िया गई घूरे पर, उसने जाकर सारा कचरा फेंका और कहा: हे प्रभु, तुझको ही समर्पित! उस फकीर ने कहा कि बाई, ठहर ! मैंने बड़े—बड़े संत देखे.......तू यह क्या कह रही है ?*
*उसने कहा, मुझसे मत पूछो; उससे ही पूछो। जब सब दे दिया तो कचरा क्या मैं बचाऊं ? मैं ऐसी नासमझ नहीं।*
*उस फकीर ने उस रात एक स्वप्न देखा कि वह स्वर्ग ले जाया गया है। परमात्मा के सामने खड़ा है। स्वर्ण—सिंहासन पर परमात्मा विराजमान है। सुबह हो रही है, सूरज ऊग रहा है, पक्षी गीत गाने लगे—सपना देख रहा है—और तभी अचानक एक टोकरी भर कचरा आ कर परमात्मा के सिर पर पड़ा और उसने कहा कि यह बाई भी एक दिन नहीं चूकती! फकीर ने कहा कि मैं जानता हूं इस बाई को। कल ही तो मैंने इसे देखा था और कल ही मैंने उससे कहा था कि यह तू क्या करती है?*
*लेकिन घंटे भर वहां रहा फकीर, बहुत—से लोगों को जानता था जो फूल चढ़ाते हैं, मिष्ठान्न चढ़ाते हैं, वे तो कोई नहीं आए। उसने पूछा परमात्मा को कि फूल चढ़ाने वाले लोग भी हैं...सुबह ही से तोड़ते हैं, पड़ोसियों के वृक्षों में से तोड़ते हैं। अपने वृक्षों के फूल कौन चढ़ाता है! आसपास से फूल तोड़कर चढ़ाते हैं......उनके फूल तो कोई गिरते नहीं दिखते ?*
*परमात्मा ने उस फकीर को कहा, जो आधा—आधा चढ़ाता है, उसका पहुंचता नहीं। इस स्त्री ने सब कुछ चढ़ा दिया है, कुछ नहीं बचाती, जो है सब चढ़ा दिया है। समग्र जो चढ़ाता है, उसका ही पहुंचता है।*
*घबड़ाहट में फकीर की नींद खुल गई। पसीने—पसीने हो रहा था, छाती धड़क रही थी। क्योंकि अब तक की मेहनत, उसे याद आया कि व्यर्थ गई। मैं भी तो छांट—छांट कर चढ़ाता रहा।*
*शिक्षा:-*
🌹🍁🌹🙏🏻*
[05/05, 7:56 am] ❓: . *💥भक्त की सुई💥* एक गांव में कृष्णा बाई नाम की बुढ़िया रहती थी वह भगवान श्रीकृष्ण की परमभक्त थी। वह एक झोपड़ी में रहती थी। कृष्णा बाई का वास्तविक नाम सुखिया था पर कृष्ण भक्ति के कारण इनका नाम गांव वालों ने कृष्णा बाई रख दिया।
घर घर में झाड़ू पोछा बर्तन और खाना बनाना ही इनका काम था। कृष्णा बाई रोज फूलों की माला बनाकर दोनों समय श्री कृष्ण जी को पहनाती थी और घण्टों कान्हा से बात करती थी। गांव के लोग यहीं सोचते थे कि बुढ़िया पागल है।
एक रात श्री कृष्ण जी ने अपनी भक्त कृष्णा बाई से यह कहा कि कल बहुत बड़ा भूचाल आने वाला है तुम यह गांव छोड़ कर दूसरे गांव चली जाओ।
अब क्या था मालिक का आदेश था कृष्णा बाई ने अपना सामान इकट्ठा करना शुरू किया और गांव वालों को बताया कि कल सपने में कान्हा आए थे और कहे कि बहुत प्रलय होगा पास के गाव में चली जा।
अब लोग कहाँ उस बूढ़ी पागल की बात मानने वाले जो सुनता वहीं जोर जोर ठहाके लगाता। इतने में बाई ने एक बैलगाड़ी मंगाई और अपने कान्हा की मूर्ति ली और सामान की गठरी बांध कर गाड़ी में बैठ गई। और लोग उसकी मूर्खता पर हंसते रहे।
कृष्णा बाई जाने लगी बिल्कुल अपने गांव की सीमा पार कर अगले गांव में प्रवेश करने ही वाली थी कि उसे कृष्ण की आवाज आई - अरे पगली जा अपनी झोपड़ी में से वह सुई ले आ जिससे तू माला बनाकर मुझे पहनाती है। यह सुनकर बाई बेचैन हो गई तड़प गई कि मुझसे भारी भूल कैसे हो गई अब मैं कान्हा की माला कैसे बनाऊंगी?
उसने गाड़ी वाले को वहाँ रोका और अपने झोपड़ी की तरफ भागी। गांव वाले उसके पागलपन को देखते और खूब मजाक उडाते।
बाई ने झोपड़ी में तिनकों में फसी सुई को निकाला और फिर पागलों की तरह दौड़ते हुए गाड़ी के पास आई। गाड़ी वाले ने कहा कि माई तू क्यों परेशान हैं कुछ नही होना। बाई ने कहा अच्छा चल अब अपने गांव की सीमा पार कर।
गाड़ी वाले ने ठीक ऐसे ही किया।
अरे यह क्या? जैसे ही सीमा पार हुई पूरा गांव ही धरती में समा गया। सब कुछ जलमग्न हो गया।
गाड़ी वाला भी अटूट कृष्ण भक्त था।येन केन प्रकरेण भगवान ने उसकी भी रक्षा करने में कोई विलम्ब नहीं किया।
इस कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि प्रभु जब अपने भक्त की मात्र एक सुई तक की इतनी चिंता करते हैं तो वह भक्त की रक्षा के लिए कितना चिंतित होते होंगे। जब तक उस भक्त की एक सुई उस गांव में थी पूरा गांव बचा था
*🌹राधे राधे 🙏*
[05/05, 7:56 am] ❓: *दया पर संदेह*
*एक बार एक अमीर सेठ के यहाँ एक नौकर काम करता था।अमीर सेठ अपने नौकर से तो बहुत खुश था,लेकिन जब भी कोई कटु अनुभव होता तो वह ईश्वर को अनाप शनाप कहता और बहुत कोसता था*
*एक दिन वह अमीर सेठ ककड़ी खा रहा था।संयोग से वह ककड़ी कच्ची और कड़वी थी।सेठ ने वह ककड़ी अपने नौकर को दे दी।नौकर ने उसे बड़े चाव से खाया जैसे वह बहुत स्वादिष्ट हो*
*अमीर सेठ ने पूछा– “ककड़ी तो बहुत कड़वी थी।भला तुम ऐसे कैसे खा गये?*
*नौकर बोला–आप मेरे मालिक है।रोज ही स्वादिष्ट भोजन देते है।अगर एक दिन कुछ बेस्वाद या कड़वा भी दे दिया तो उसे स्वीकार करने में भला क्या हर्ज है ?*
*अमीर सेठ अपनी भूल समझ गया।अगर ईश्वर ने इतनी सुख–सम्पदाएँ दी है,और कभी कोई कटु अनुदान या सामान्य मुसीबत दे भी दे तो उसकी सद्भावना पर संदेह करना ठीक नहीं,वह नौकर और कोई नहीं,प्रसिद्ध चिकित्सक हकीम लुकमान थे*
*असल में यदि हम समझ सकें तो जीवन में जो कुछ भी होता है,सब ईश्वर की दया ही है।ईश्वर जो करता है अच्छे के लिए ही करता है..,*
[05/05, 7:56 am] ❓: न स्तुयादात्मना आत्मनं न परंपरिवादयेत्। न सतोन्यगुणान् हिंस्यान्नासतः स्वस्य वरणयेत्।। * खुद ही अपनी प्रशंसा न करें।दूसरों की निंदा न करें।दूसरों मे जो गुण हो,उनकी हिंसा न करें,अर्थात उन्हें नकारें या छिपायें नहीं।अपने मे जो गुण हो उसका बखान न करें।
[05/05, 7:56 am] ❓: *ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ*
*आपको नहीं पता होगा आरती के पहले या बाद में क्यों बोलते हैं कर्पूरगौरं मंत्र..........*
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*किसी भी मंदिर में या हमारे घर में जब भी पूजन कर्म होते हैं तो वहां कुछ मंत्रों का जप अनिवार्य रूप से किया जाता है। सभी देवी-देवताओं के मंत्र अलग-अलग हैं, लेकिन जब कभी भी कोई भी देवी या देवताओं की आरती होती है तो उससे पहले या आरती पूर्ण होने के बाद में यह मंत्र विशेष रूप से बोला जाता है-*
*कर्पूरगौरं मंत्र*
*कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।*
*सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।*
*इस मंत्र का अर्थ*
*इस मंत्र से शिवजी की स्तुति की जाती है। इसका अर्थ इस प्रकार है-*
*कर्पूरगौरं- कर्पूर के समान गौर वर्ण वाले।*
*करुणावतारं- करुणा के जो साक्षात् अवतार हैं।*
*संसारसारं- समस्त सृष्टि के जो सार हैं।*
*भुजगेंद्रहारम्- इसका अर्थ है जो सांप को हार के रूप में धारण करते हैं।*
*सदा वसतं हृदयाविन्दे भवंभावनी सहितं नमामि- इसका अर्थ है कि जो शिव, पार्वती के साथ सदैव मेरे हृदय में निवास करते हैं, उनको मेरा नमन है।*
*मंत्र का पूरा अर्थ-*
*जो कर्पूर जैसे गौर वर्ण वाले हैं, करुणा के अवतार हैं, संसार के सार हैं और भुजंगों का हार धारण करते हैं, वे भगवान शिव माता भवानी सहित मेरे ह्रदय में सदैव निवास करें और उन्हें मेरा नमन है।*
*लेकिन यही मंत्र क्यों...*
*किसी भी देवी-देवता की आरती के पहले या बाद में कर्पूरगौरम् करुणावतारम.................मंत्र ही क्यों बोला जाता है, इसके पीछे बहुत गहरे अर्थ छिपे हुए हैं। भगवान शिव की ये स्तुति शिव-पार्वती विवाह के समय विष्णु द्वारा गाई हुई मानी गई है। अमूमन ये माना जाता है कि शिव शमशान वासी हैं, उनका स्वरुप बहुत भयंकर और अघोरी वाला है। लेकिन, ये स्तुति बताती है कि उनका स्वरुप बहुत दिव्य है। शिव को सृष्टि का अधिपति माना गया है, वे मृत्युलोक के देवता हैं, उन्हें पशुपतिनाथ भी कहा जाता है, पशुपति का अर्थ है संसार के जितने भी जीव हैं (मनुष्य सहित) उन सब का अधिपति। ये स्तुति इसी कारण से गाई जाती है कि जो इस समस्त संसार का अधिपति है, वो हमारे मन में वास करे। शिव श्मशान वासी हैं, जो मृत्यु के भय को दूर करते हैं। हमारे मन में शिव वास करें, मृत्यु का भय दूर हो।*
*ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ*
🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉: 🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞
⛅ *दिनांक 05 मई 2020*
⛅ *दिन - मंगलवार*
⛅ *विक्रम संवत - 2077 (गुजरात - 2076)*
⛅ *शक संवत - 1942*
⛅ *अयन - उत्तरायण*
⛅ *ऋतु - ग्रीष्म*
⛅ *मास - वैशाख*
⛅ *पक्ष - शुक्ल*
⛅ *तिथि - त्रयोदशी रात्रि 11:21 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
⛅ *नक्षत्र - हस्त शाम 04:39 तक तत्पश्चात चित्रा*
⛅ *योग - वज्र रात्रि 12:43 तक तत्पश्चातम सिद्धि*
⛅ *राहुकाल - शाम 03:38 से शाम 05:15 तक*
⛅ *सूर्योदय - 06:06*
⛅ *सूर्यास्त - 19:04*
⛅ *दिशाशूल - उत्तर दिशा में*
⛅ *व्रत पर्व विवरण - भौमप्रदोष व्रत*
💥 *विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🌷 *वैशाख मास की अंतिम तीन तिथि* 🌷
➡ *वैशाख मास की अंतिम तीन तिथि का महत्व (5 ,6 एवं 7 मई 2020)*
🙏🏻 *स्कन्दपुराण के वैष्णव खण्ड के अनुसार*
*यास्तिस्रस्तिथयः पुण्या अंतिमाः शुक्लपक्षके ।। वैशाखमासि राजेंद्र पूर्णिमांताः शुभावहाः ।।*
*अन्त्याः पुष्करिणीसंज्ञाः सर्वपापक्षयावहाः ।। माधवे मासि यः पूर्णं स्नानं कर्त्तुं न च क्षमः ।।*
*तिथिष्वेतासु स स्नायात्पूर्ण मेव फलं लभेत् ।। सर्वे देवास्त्रयोदश्यां स्थित्वा जंतून्पुनंति हि ।।*
*पूर्णायाः पर्वतीर्थैश्च विष्णुना सह संस्थिताः ।। चतुर्दश्यां सयज्ञाश्च देवा एतान्पुनंति हि ।।*
🙏🏻 *वैशाख मास की अंतिम तीन तिथि (त्रियोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा) बहुत पवित्र और शुभकारक हैं उनका नाम "पुष्करिणी" है। ये सब पापों का क्षय करनेवाली हैं | जो सम्पूर्ण वैशाख मास में ब्राम्हमुहूर्त में पुण्यस्नान, व्रत, नियम आदि करने में असमर्थ हों, वह यदि इन ३ तिथियों में भी उसे करें तो वैशाख मास का पूरा फल पा लेता है |*
🌷 *ब्रह्मघ्नं वा सुरापं वा सर्वानेतान्पुनंति हि ।। एकादश्यां पुरा जज्ञे वैशाख्याममृतं शुभम् ।।*
*द्वादश्यां पालितं तच्च विष्णुना प्रभविष्णुना ।। त्रयोदश्यां सुधां देवान्पाययामास वै हरिः ।।*
*जघान च चतुर्दश्यां दैत्यान्देवविरोधिनः ।। पूर्णायां सर्वदेवानां साम्राज्याऽऽप्तिर्बभूव ह ।।*
*ततो देवाः सुसंतुष्टा एतासां च वरं ददुः ।। तिसृणां च तिथीनां वै प्रीत्योत्फुल्लविलोचनाः ।।*
*एता वैशाख मासस्य तिस्रश्च तिथयः शुभाः ।।* *पुत्रपौत्रादिफलदा नराणां पापहानिदाः ।।*
*योऽस्मिन्मासे च संपूर्णे न स्नातो मनुजाधमः ।। तिथित्रये तु स स्नात्वा पूर्णमेव फलं लभेत् ।।*
*तिथित्रयेप्यकुर्वाणः स्नानदानादिकं नरः ।। चांडालीं योनिमासाद्य पश्चाद्रौरवमश्नुते ।।*
🙏🏻 *पूर्वकाल में वैशाख शुक्ल एकादशी को शुभ अमृत प्रकट हुआ। द्वादशी को भगवान विष्णु ने उसकी रक्षा की। त्रयोदशी को उन श्री हरि ने देवताओं को सुधापान कराया। चतुर्दशी को देवविरोधी दैत्यों का संहार किया और पूर्णिमा के दिन समस्त देवताओं को उनका साम्राज्य प्राप्त हो गया। इसलिए देवताओं ने संतुष्ट होकर इन तीन तिथियों को वर दिया - “वैशाख की ये तीन शुभ तिथियाँ मनुष्यों के पापों का नाश करने वाली तथा उन्हें पुत्र-पौत्रादि फल देनेवाली हों। जो सम्पूर्ण वैशाख में प्रात: पुण्य स्नान न कर सका हो, वह इन तिथियों में उसे कर लेने पर पूर्ण फल को ही पाता है। वैशाख में लौकिक कामनाओं को नियंत्रित करने पर मनुष्य निश्चय ही भगवान विष्णु का सायुज्य प्राप्त कर लेता है।”*
🌷 *गीतापाठं तु यः कुर्यादंतिमे च दिनत्रये ।। दिनेदिनेऽश्वमेधानां फलमेति न संशयः ।।*
🙏🏻 *जो वैशाख मास में अंतिम ३ दिन ‘गीता’ का पाठ करता है, उसे प्रतिदिन अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है |*
*सहस्रनामपठनं यः कुर्य्याच्च दिनत्रये ।। तस्य पुण्यफलं वक्तुं कः शक्तो दिवि वा भुवि ।।*
🙏🏻 *जो इन तीनों दिन ‘श्रीविष्णुसहस्रनाम’ का पाठ करता है, उसके पुण्यफल का वर्णन करने में तो इस भूलोक व स्वर्गलोक में कौन समर्थ है | जो इन तीन दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करता है उसके पुण्यफल की व्याख्या करने में पृथ्वीलोक तथा स्वर्गलोक में कोई समर्थ नहीं।*
🌷 *सहस्रनामभिर्देवं पूर्णायां मधुसूदनम् ।। पयसा स्नाप्य वै याति विष्णुलोकमकल्मषम् ।।*
🙏🏻 *जो वैशाख पूर्णिमा को सहस्रनामों के द्वारा भगवान् मधुसूदन को दूध से स्नान कराता है वो वैकुण्ठ धाम को जाता है।*
🌷 *यो वै भागवतं शास्त्रं शृणोत्येतद्दिनत्रये ।। न पापैर्लिप्यते क्वाऽपि पद्मपत्रमिवांभसा ।।*
🙏🏻 *जो वैशाख के अंतिम ३ दिनों में ‘भागवत’ शास्त्र का श्रवण करता है, वह जल में कमल के पत्तों की भांति कभी पापों में लिप्त नहीं होता |*
🌷 *देवत्वं मनुजैः प्राप्तं कैश्चित्सिद्धत्वमेव च ।।* *कैश्चित्प्राप्तो ब्रह्मभावो दिनत्रयनिषेवणात् ।।*
🙏🏻 *इन अंतिम ३ दिनों में शास्त्र-पठन व पुन्य्कर्मों से कितने ही मनुष्यों ने देवत्व प्राप्त कर लिया और कितने ही सिद्ध हो गये | अत: वैशाख के अंतिम दिनों में स्नान, दान, पूजन अवश्य करना चाहिए |*
📖 *हिन्दू पंचांग संपादक ~
📒 *हिन्दू पंचांग प्रकाशित स्थल ~ सुरत शहर (गुजरात)*
🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
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