**राधास्वामी!!
05-05-2020-
आज शाम के सत्संग में पढ़े गए पाठ-
(1) चलो आज गुरु दरबारा । जहां होवत सहज उधारा।। टेक।। ( प्रेमबानी -भाग तीन- शब्द 2- पृष्ठ संख्या 245)
(2) कोई राख लेव मोहि अब की ।।टेक।। ( प्रेमबिलास- शब्द- 109 , पृ. संख्या- 160 ) (3) सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**राधास्वामी!!
05-05- 2020
-आज शाम के साथ पढा गया बचन-
कल से आगे -(128 )-
जैसे घास का तिनका तोड़े जाने पर अपना वजूद कायम रखने के लिए पूरा जोर लगाता है ऐसे ही इंसान का मन भी उद्धार की कार्यवाही शुरू होने पर अपने तई बरकरार रखने के लिए पूरा जोर लगाता है ।
जब हम किसी चीज को तोडा चाहते हैं तो अव्वल उसे अपने हाथों में पकड़ते हैं फिर उस पर अपना जोर लगातता हैं। जब हम किसी चीज को तोड़ा चाहते है तो अव्वल उसे अपने हाथों में पकडते है और फिर उस पर अपना जोर लगाते हैं। जब हम उस चीज को तोडने के लिये अपना जोर लगाते है तो वह चीज अपना जोर लगा कर रुकावट पेश करती है।
शुरू में उसका जोर गालिब रहता है लेकिन जब हम हाथों का जोर बढ़ा देते हैं तो रफ्ता रफ्ता हमारी ताकत रुकावट के जोर पर गालिब आ जाती है और वह चीज टूट जाती है ।
गोया किसी चीज के तोड़ने के लिए हमें चार मंजिलों से गुजरना पड़ता है। अव्वल उसका हाथों में पकड़ना , दोयम उस पर जोर लगाना और उसका मजाहमत पेश करना, सोयम हमारी ताकत का मजाहमत पर गलबा शुरू होना और चहारम हमारी ताकत के गालिब आ जाने पर उस चीज का टूट जाना ।
वाजह हो कि जीवोद्धार यानी काल व माया के बंधनों के तोड़ने के सिलसिले में भी इसी किस्म की चार मंजिलों से गुजरना पड़ता है और वे मंजिलें ये है-
अब्बल सतगुरु की शरण धारण करना, दोयम साधन करना, सोयम, मुक्तिपद की प्राप्ति और चहारम निजधाम में दाखिल होना ।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
सत्संग के उपदेश -भाग तीसरा।**
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय राधास्वामी।
।।।।।।।।।।।।।।।।।
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