रोजाना वाकिआत🌹 डायरी परम पूज्य🌹 हुज़ूर साहब जी🌹 महाराज🌹
🌹24-5-1932-मंगलवार
🌹आज 8 बजे सुबह
रवानगी के लिए मुकर्रर् है,
घर से रवाना होने से पहले, हाजिरुलवक्त
(उस समय उपस्थित)
सतसंगियान के आग्रह
करने पर कि सुवा बम्बई में भी सतसंग की तालीम (शिक्षा) फैले
🌹, , बतलाया गया कि अव्वल मुश्किल तो यह है कि इसान
आमतौर पर उस किस्म की मजहबी
तालीम और उस तरह
का मजहब पसन्द करते हैं, जिससे उनका स्वार्थ सिद्व हो
🌹, , और दोयम यह कि जब आदमी के पास रुपया पैसा हो जाता है, तो उसका मिजाज खराब हो जाता है और उसके
मिजाज में परमार्थ की बाबत लापरवाही आ
जाती है,
🌹, , वह साधुओं व
मालाधारियो को रोजाना अपने दरवाजे पर इमदाद (सहायता)
के लिए जमा होते देख
कर अपने तई (अपने आप) को कुछ का कुछ खयाल करने लगता है,
🌹, , और उसे खयाल हो जाता है कि
रुपया पैसा की मदद
से सभी काम कर लुगा
यानी मेरे सब काम हो
सकते हैं,
🌹, , ऐसी सूरते हाल
में अमीरों का मन व
दिल रोकने या साधन
करने के लिए रजामन्द
करना सख्त दुशवार
हो जाता है,
🌹, , अगर आप लोग चाहते हैं कि आप के सूबा में सतसंगी बढे
तो आपके लिए मुनासिब है कि आप
सब सच्चे परमार्थियो
की सी जिंदगी बसर
करें,
🌹, , आपकी रहनी गहनी का का असर
आपके आस पास रहने वालों पर और
आपके मिलने वालों
पर जरुर पडेगा,
🌹, , इस तरह आपकी रहनी गहनी से प्रभावित होकर
लोग सतसंग की तालीम (शिक्षा) की जानिब मुखातिब जरूर होगे,
🌹, , और आप सब लोगों को रहनी गहनी के सिलसिले में याद
रखना चाहिए कि हमें
अपनी अमली जिंदगी
से दिखलाना चाहिए
कि राधास्वामी दयाल की चरन शरन प्राप्त
होने से हम परमार्थ
और स्वार्थ दोनों में
खुशहाल है🌹🌹🌹राधास्वामी
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