Thursday, March 4, 2021

सतसंग शाम DB / p4/03

 *राधास्वामी!! 04-03 -2021- आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे -(176)-

 प्रश्न १४- सृष्टि की क्रिया के आरंभ होने से पूर्व यह गुबार अर्थात न्यून चेतन (जिसे और लोग माया कहते हैं ) विशेष चेतन से मिला हुआ था। सृष्टि-क्रम ने इसे पृथक कर दिया।                                               

( 177)- प्रश्न १५- यदि पूर्वोक्त उत्तरों पर विचार किया जायगा तो विदित होगा कि संतमत आदि चेतन जौहर में दर्जे मानता है। इसलिए धारें भी चेतन है और माया भी चेतन है, किन्तु उनमें उत्तम और निकृष्ट का भेद है। जिन धारों में न्यून चेतन की मिलौनी थी अर्थात् जो धारे निर्मल चेतन से किसी दर्जे का न्यू चेतन लेकर आविर्भूत या उत्सृष्ट हुईं उनका प्रकाश निर्मल चेतन के प्रकाश की अपेक्षा रंजित (रंगवाला) था। रंग का आविर्भाव न्यून चेतन की विद्यामानता से हुआ।**

( 178)- यहाँ पर इतना और लिख देना आवश्यक प्रतीत होता है कि किसी सिद्धांत पर आक्षेप कर देना अत्यंत सरल है बल्कि कहावत मशहूर है कि एक अनजान बच्चा ऐसा प्रश्न कर सकता है जिसका संसार के दस बढ़कर बुद्धिमान मनुष्य मिलकर भी उत्तर न दे सकें। किंतु यदि कोई व्यक्ति सचमुच कोई बात जानना चाहता है तो उसको उचित है कि किसी विज्ञ पुरुष के पास जा कर वह सिद्धांत सीखे, और यदि इसके लिए अवकाश न हो तो कम से कम उस सिद्धांत के विषय की विभिन्न पुस्तकों का अनुशीलन करें । यदि आक्षेपक ने इस नियम पर चल कर अमृतवचन पुस्तक का अनुशीलन किया होता तो विवादास्पद विषय पर उसे बहुत कुछ प्रकाश मिल जाता।  किंतु यहाँ तो अभिप्राय ही और है। आक्षेपक ने सारबचचन पुस्तक के शब्द का अर्थ बिगाड कर राधास्वामी- मत की शिक्षा पर तो विभिन्न आक्षेप कर दिये किंतु आश्चर्य है कि उसे अपने वेदों और उपनिषदों में वर्णित सृष्टिक्रम पर कोई आपत्ति न हुई। उदाहरणार्थ बृहदारणयक उपनिषद से लिखा जाता है कि सृष्टि कैसे हुई ।(देखिये अध्याय १,ब्रह्याण ४)।                                                 

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻 यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा-

 परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!

**राधास्वामी!! 04-03-2021- आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-    


                                                                

 (1) सुरतिया सोच करत । कस जाऊँ भौ के पार।।

 जो कुछ होय मौज से गुरु के। ता में परखूँ दया बिचार।।

-(यह अरजी मानो अब मेरी।

 राधास्वामी प्यारे सत करतार।।)

(प्रेमबिलास-शब्द-14-पृ.सं.121)   

                           

 (2) राधास्वामी दयाल सरन की महिमा। सतसंगी मिल गाय रहे री(आज)

 ।।टेक।।

जग ब्योहार असार छोडकर। भक्ति रीति सिखाय रहे री।।

-(दास दासी सब अमर होय कर। अमरापुरी को धाय रहे री।।) (प्रेमबिलास-शब्द14-पृ.सं. 18)                                                           

 (3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरग- कल से आगे।।                                                      सतसंग के बाद-स्पेशल पाठ-                                   (1) अतोला तेरी कर न सके कोई तोल।।।                                                 (2) बढत सतसंग अब दिन दिन । अहा हा हा ओहो हो हो हो।।।                                              पाठ के बाद एनाउंस हुआ:- (तीन ट्रिनटी है जो पाठ किया गया उससे स्प्रिट देखिये-जो पाठ के समय थी वो सर्वोच्च ट्रिनटी है।-                    राधास्वामी फेथ में हुजूर साहबजी महाराज की डिस्कोर्सेस आफ राधास्वामी फेथ है जो हिंदी में भी और अंग्रेज़ी में भी मिलती है आप लोग पढिये और मनन कीजिये । फिर देखिये क्या रिजल्ट निकलता है।                 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

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