Friday, August 27, 2021

सच्चा औऱ झूठा / कृष्ण मेहता

 हमने देखा है कि कुछ किसान अपने खेतों में झूठा आदमी जैसा पुतला बनाकर खड़ा कर देते हैं। उसे कुरता पहना देते हैं, हंडिया लटका देते हैं, उसका मुंह बना देते हैं। ताकि जंगली जानवर उस झूठे आदमी को देखकर भाग जाएं। पक्षी-पक्षी खेत में आने से डरे।


एक दिन एक शहरी आदमी जिसमे ऐसा आदमी पहले कभी नही देखा था उस झूठे आदमी के पास से निकलता था। तो उस शहरी आदमी ने उस झूठे आदमी को पूछा कि दोस्त! मैंने सुना है तुम सदा यही खड़े रहते हो? धूप आती है, वर्षा आती है, सर्दियां आती हैं रात आती है, अंधेरा हो जाता है- लेकिन तुम यही खड़े रहते हो। क्या तुम ऊबते नहीं, घबराते नहीं, परेशान नहीं होते?

वह झूठा आदमी उस शहरी आदमी की बातें सुनकर बहुत हंसने लगा। उसने कहा, परेशान! परेशान मैं कभी नहीं होता, दूसरों को डराने में इतना मजा आता है कि उसके आगे मझे धूप बारिश, सर्दी गर्मी, दिन रात किसी का भी तो पता नही चलता। मुझे दूसरों को डराने में बहुत मजा आता है; दूसरों को प्रभावित देखकर, भयभीत देखकर बहुत मजा आता है। ‘दूसरों की आंखों में सच्चा दिखायी पड़ता हूं, - बस बात खत्म हो जाती है। पक्षी डरते हैं कि मैं सच्चा आदमी हूं। जंगली जानवर भय खाते हैं कि मैं सच्चा आदमी हूं। उनकी आंखों में देखकर कि मैं सच्चा हूं बहुत मजा आता है!


उस झूठे आदमी की बातें सुनकर वो शहरी आदमी बोला कि ”बड़े आश्रर्य की बात है। तुम जैसा कहते हो, वैसी हालत मेरी भी है। मैं भी दूसरों की आंखों में देखता हूं कि मैं क्या हूं और उसी से आनंद लेता चला जाता हूं! दूसरे जब मेरे पद, पावर को देखकर मुझसे डरते है तो मुझे भी बहुत मजा आता है। मैं भी लोगो की गर्दन दबोचने के लिए दिन-रात एक किये रहता हूँ। तुम तो फिर भी एक जगह खड़े हो। लेकिन मैं तो हमेशा कही ठहरता ही नही बस दिन रात और पैसा, ओर पावर इसी में लगा हूँ।


यह सुनकर वह झूठा आदमी हंसने लगा और उसने कहा, ”तब फिर मैं समझ गया कि तुम भी एक झूठे आदमी हो। झूठे आदमी की एक पहचान है : वह हमेशा दूसरे को डरना चाहता है। अपने पद से, अपने रुतबे से, अपनी शक्ति से। 


ऐसा आदमी कभी स्वयं को नही देखता उसकी दृष्टि दूसरे को ही देखती है। लेकिन एक बात मैं ओर बात दू। की जो तुम्हारे आगे झुकते है,  तुमसे डरते है वो तुम जैसे ही झूठे है। ये मत सोच लेना कि उनका तुमसे कुछ लेना देना है। कि वो तुमसे प्रेम करते है इसलिए तुम्हारे आगे झुकते है। उनका झुकना उनके डर के कारण है। आज ही यदि तुम्हरी शक्ति चली जाए। तुम्हारी सच्चाई उनके सामने आ जाये यही डरने वाले लोग तुम्हे उखाड़ फेकेंगे। 


इसलिए जितने झूठे तुम हो उतने ही झूठे दूसरे लोग भी है। लेकिन दोनो ही सच्चे होने का नाटक करते रहते है। दोनो एक दूसरे के मन मे भ्रम पैदा करते हैं और कुछ नही।

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