Monday, August 30, 2021

कर्म से ही कृष्ण औऱ कंस

 *मैं ही कृष्ण, मैं ही कंस हूं..!*


प्रस्तुति - दीपा शरण



एक चित्रकार था, जो अद्धभुत चित्र बनाता था।

एक दिन कृष्ण मंदिर के भक्तों ने उनसे कृष्ण और कंस का एक चित्र बनाने की इच्छा प्रगट की।

चित्रकार तैयार हो गया पर उसने कुछ शर्तें रखीं।

उसने कहा _कृष्ण के चित्र के लिए नटखट बालक और कंस के लिए एक क्रूर भाव वाला व्यक्ति लाकर दें,_

*मुझे योग्य पात्र चाहिए,* *अगर वे मिल जाएं, तो मैं चित्र बना दूंगा।*

भक्त एक सुन्दर बालक ले आये। चित्रकार ने *उस बालक को सामने बैठा कर । बाल कृष्ण का एक सुंदर चित्र बनाया।*

अब बारी कंस की थी पर क्रूर भाव वाले व्यक्ति को ढूंढना थोडा मुश्किल था।

*जो व्यक्ति कृष्ण मंदिर वालों को पसंद आता वो चित्रकार को पसंद नहीं आता, उसे वो भाव मिल नहीं रहे थे...*

वक्त गुजरता गया।

आखिरकार थक-हार कर सालों बाद वो अब जेल में चित्रकार को ले गए, 

जहां उम्र कैद काट रहे अपराधी थे।

*उन अपराधियों में से एक को चित्रकार ने चुना। और उसे सामने बैठा कर उसने कंस का चित्र बनाया।*

कृष्ण और कंस की वो तस्वीर आज सालों के बाद पूर्ण हुई।

*कृष्ण मंदिर के भक्त वो तस्वीर देखकर मंत्रमुग्ध हो गए।*

उस अपराधी ने भी वह तस्वीर देखने की इच्छा व्यक्त की।

*उस अपराधी ने जब वो तस्वीर देखी तो वो फूट-फूटकर रोने लगा।*

सभी ये देख अचंभित हो गए।

चित्रकार ने उससे इसका कारण पूछा,

तब वह अपराधी बोला 

*"शायद आपने मुझे पहचाना नहीं,*

मैं ही वो बच्चा हूं जिसे सालों पहले आपने बालकृष्ण के चित्र के लिए पसंद किया था।

*मेरे कुकर्मों से आज मैं कंस बन गया, इस तस्वीर में मैं ही कृष्ण, मैं ही कंस हूं।*

*हमारे कर्म ही हमें अच्छा*

*और बुरा इंसान बनाते हैं..!!* 

प्रार्थना है जन्माष्टमी हमारे भीतर के कृष्ण को नया जन्म दे और हमें एक अच्छा इंसान बनने के लिए प्रेरित करे।

🙏🏻🙏🏻

जय श्री कृष्ण

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