Monday, August 16, 2021

सारबचन

 सारबचन (नसर) / (परम पुरुष पूरन धनी हुज़ूर स्वामीजी महाराज)


*बचन हज़ूरी जो कि महाराज परम पुरुष पूरन धनी राधास्वामी साहब ने ज़बान मुबारक से वक़्त सतसंग के फ़रमाए और जिनमें से थोड़े से वास्ते हिदायत सतसंगियों के लिखे गए।*


      *132.* संत करामात नहीं दिखाते हैं, अपने स्वामी की मौज में बरतते हैं और गुप्त रहते हैं। जो स्वामी को प्रगट करना अपने भक्त का मंज़ूर होवे, तो करामात दिखावें और जो गुप्त रखना है, तो करामात नहीं दिखाते हैं, क्योंकि करामात दिखाने पर संतों को जल्द गुप्त होना पड़ता है और सच्चों का अकाज और झूठों की भीड़भाड़ होती है। इस वक़्त में करामात दिखाने का हुक्म नहीं है और जो करामात देखने की चाह रखते हैं, वह परमार्थी भी नहीं हैं।         


      *133 -* हिंदू और मुसलमान दोनों में जो अंधे हैं, उनके वास्ते तीर्थ, ब्रत, मंदिर और मसजिदों की पूजा है और *जिनको आँख है, उनके वास्ते वक़्त के सतगुरु की पूजा है।* हर एक के वास्ते यह बात नहीं हैं, सिर्फ़ सतसंगी को और जिनको आँख है, उन्हीं को सतगुरु की क़दर होगी।

*दृष्टान्त-* एक शख़्स है कि वह लुक़मान हकीम की तारीफ़ करता है और वक़्त के हकीम की निंदा करता है। इससे मालूम होता है कि उसको बीमारी और दर्द नहीं है। अगर दर्द होता तो वक़्त के हकीम की तारीफ़ करता, क्योंकि लुक़मान चाहे बहुत अच्छा हकीम था, पर अब कोई बीमार चाहे कि उसके नाम से रोग खोवे, तो कभी नहीं दूर हो सकता है। जब तक वक़्त के हकीम के पास न जायगा, रोग दूर न होगा। इस तरह से जो दर्दी परमार्थ का है और संसार के सुख को विष रूप देखता है और मोक्ष की चाह रखता है, सो वह जब तक कि वक़्त के पूरे सतगुरु के पास नहीं जावेगा, उसको चैन नहीं आवेगा और वही महिमा वक़्त के सतगुरु की जानेगा। और जो झूठे हैं, वह तीर्थ, ब्रत और मूरतपूजा और पिछलों की टेक में भरमेंगे और सतगुरु की महिमा नहीं जानेंगे।


       *134 -* करनी और दया दोनों संग चलेंगी। दया बिना करनी नहीं बनेगी और करनी बिना दया नहीं होगी और जो दया को मुख्य करोगे, तो आलसी हो जाओगे और फिर करनी नहीं बनेगी।


       *135 -* चौरासी लाख जोन भुगत कर जीव को गाय की जोन मिलती है और फिर नरदेही मिलती है। इसमें जो जीव से अच्छी करनी बनेगी, तो बराबर नरदेही मिलती चली जायेगी जब तक कि काम पूरा नहीं होगा। सो अच्छी करनी यह है कि अपने कुल की याद करना, क्योंकि जोन बदलती है पर जीव का कुल नहीं बदलता है। वह एक ही है, यानी सब जीव सत्तनाम बंसी है। सो यह बात बिना सतगुरु-भक्ति के और कोई जतन से हासिल नहीं होगी।


      *136 -* अंत में जिसने जाकर बासा किया,

*वही बसंत है और वही अच्छा बसंत है और उनको ही हमेशा बसंत है जो चढ़ कर, जहाँ सबका अंत है, वहाँ बसे हैं।*


🙏🙏🙏 *राधास्वामी* 🙏🙏🙏

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