**राधास्वामी! - / 17-08-2021-आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
लाज मेरी राखो गुरु महाराज।
काल अँग मन से काढो आज।१।
भरम रहा जग भोगन संग।
हुआ मैं इस मूरख से तंग।२।
निडर होय लहरन में बहता।
बचन नहिं माने दुख सहता।३।
करत रहे इच्छा का नित संग।
भींज रहा छिन छिन माया रंग।४।
बचन गुरु सुनत रहा दिन रात।
भरम बस मानत नहिं कोइ बात।५।
भोग में गिरता बारंबार।
न लावे याद बचन गुरु सार।६।
करत पछतावा पीछे आय।
समय पर चूक चूक पुन जाय।७।
मेहर अब पूरी करो दयाल।
काट देव जल्दी जम का जाल।८।
बिना राधास्वामी नहिं कोइ और।
मेहर से चरनन में दें ठौर।९।
होंय मोपै छिन छिन आप सहाय।
काल अँग देवें तुरत हटाय।१०। दया
कर हेरो मेरी ओर ।
मिटाओ काल करम का जोर।११।
सरन में पिता प्यारे तुम्हरी आय।
लजावत मन मोह़िं नाच नचाय।१२।
यही मेरे अचरज चित्त समाय।
करे़ गुरु क्यों नहिं मेरी सहाय।१३।
तुम्हरी गति मति मैं नहिं जान।
रहा मन बुद्धि सँग भरमान।१४।
सुनो मेरी बिनती गुरु दातार।
लेव अब मुझ को बेग उबार।१५।
दयानिधि राधास्वामी गुरु पूरे।
मेहर कर देव मोहिं घर मूरे।१६।
मगन रहूँ निस दिन चरन समाय।
देव भय चिंता दूर बहाय।१७।
(प्रेमबानी-1-शब्द-16-पृ.सं.132,133)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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