*राधास्वामी!! - / 10-08-2021-आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
सतगुरु प्यारे ने सुधारा, मनुआँ अनाडी हो।।टेक।।
दया करी सतसँग में खींचा। बचन सुनाय अधिक मन भींचा। भोग तरंग निकारी हो।१।
सेवा करत बढा अनुरागा। सोता मन सुन सुन धुन जागा। लखी घट जोत उजारी हो।२।
गुरु की दया ले गई स्रुत आगे। गगन और जहाँ ओअं जागे। हुई गुरु शब्द अधारी हो।३।
वहाँ से चल पहुँची सतपुर में। सतगुरु प्यारे मिले अधर में। गति मति अगम अपारी हो।४।
गुरु प्यारे मोहि आप सुधारी। अलख अगम के पार किया री। राधास्वामी चरन निहारी हो।५।।
(प्रेमबानी-3-शब्द-28-पृ.सं.125,126)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
[💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥
💥 *राधास्वामी सुमिरन-ध्यान-भजन से* 💥
*💥 🌹!! जनम सुफ़लतम कर ले !!🌹 💥*
💥💥💥
*💥राधास्वामी सुमिर-सुमिर, ध्यान-भजन से*
*💥 🌹!! जनम सुफ़ल कर ले !! 🌹 💥*
💥💥💥
*💥राधास्वामी सुमिर-सुमिर, ध्यान-भजन से*
*💥 🌹!! जनम सुफ़लतम कर ले !!🌹 💥*
💥💥💥
*💥 💥 राधास्वामी सुमिर-सुमिर, 💥 💥*
*💥 💥 रूनझुन शब्द सुनाई हो ! 💥 💥*
💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥
[8/10, 13:01] +91 97176 60451: **राधास्वामी!! - 10-08-2021-आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:- बार-बार करूँ बेनती। राधास्वामी आगे।। दया करो दाता मेरे। चित चरनन लागे।१।••••••••
ऊँच से ऊँचा देस है।
वह अधर ठिकानी।।
बिना संत पावे नहीं।
स्रुत शब्द निशानी।५।
राधास्वामी नाम की।
मोही महिमा सुनाइ।।
बिरह अनुराग जगाय के।
घर पहुँचूँ भाई।६।
साधु संग कर सार रस। मैंने पिया अघाई।। प्रेम लगा गुरु चरन में। मन शांति न आई।७।
तड़प उठे बेकल रहूँ। कस पिया घर जाई।। दरशन रस नित नित लहूँ। गहे मन थिरताई।८।
( प्रेमबानी-1- शब्द-11- पृ.सं.123,124, 125,126)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
No comments:
Post a Comment