रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त*
*👉रक्षाबंधन का धार्मिक महत्व*
*👉क्यों मनाते हैं का पर्व?*
*👉कैसे शुरू हुई ये परंपरा?*
*👉धर्म ग्रंथों में मिलती हैं ये ३ कथाएं*
*🌺↪️२२ अगस्त, रविवार को रक्षाबंधन है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र यानी राखी बांधती हैं। इस पर्व की शुरूआत कैसे हुई, इस संबंध में कई कथाएं प्रचलित हैं।*
*🌻रक्षाबंधन का धार्मिक महत्व👇*
*🕉️🚩पौराणिक कथा के अनुसार, राजा बलि को वचन देकर जब विष्णु पाताल जा पहुंचे तो श्रावण माह की पूर्णिमा को ही लक्ष्मी ने रक्षा सूत्र बांधकर विष्णु को मांगा था। एक अन्य कथा के अनुसार राजसूय यज्ञ के समय भगवान कृष्ण को द्रौपदी ने रक्षा सूत्र के रूप में अपने आंचल का टुकड़ा बांधा था। इसी के बाद से बहनों द्वारा भाई को राखी बांधने की परंपरा शुरू हो गई। रक्षाबंधन के दिन ब्राहमणों द्वारा अपने यजमानों को राखी बांधकर उनकी मंगलकामना की जाती है। इस दिन विद्या आरंभ करना भी शुभ माना जाता है।*
*पूर्णिमा तिथि कब से कब तक*
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 21 अगस्त की सायं 06 बजकर 10 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 22 अगस्त की दिन 05 बजकर 01 मिनट तक
*ये है शुभ मुहूर्त👇*
22 अगस्त, रविवार को सुबह 05:37 बजे से शाम 05:01 बजे तक राखी बांधी जा सकेगी, फिर भी विशेष शुभ मुहूर्त इस प्रकार है।
*अमृत काल-* सुबह 09:34 से 11:07 तक
*अभिजीत मुहूर्त-* दोपहर 11:35 से 12:26 मिनट तक
*विशेष शुभ* - 01:44 बजे से 04:23 बजे तक
*🌺ऐसे मनाएं रक्षाबंधन का पर्व👇*
*👉- सुबह स्नान आदि करने के बाद घर के किसी पवित्र स्थान को गाय के गोबर से लीप दें या शुद्ध पानी से धो कर पवित्र कर लें। साफ किये गए स्थान पर कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं।*
*👉- स्वस्तिक पर तांबे का शुद्ध जल से भरा हुआ कलश रखें। कलश के मुख पर आम के पत्ते फैलाते हुए जमा दें। इन पत्तों पर नारियल रखें। कलश के दोनों ओर आसन बिछा दें। (एक आसन भाई के बैठने के लिए और दूसरा बहन के लिए)*
*👉- अब भाई-बहन कलश को बीच में रख कर आमने-सामने बैठ जाएं। इसके पश्चात कलश की पूजा करें। फिर भाई के दाहिने हाथ में नारियल तथा सिर पर कपड़ा या टोपी रखें।*
*👉- अब भाई को तिलक और चावल लगाएं। इसके बाद भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधें। राखी बांधते समय ये मंत्र बोलें-👇*
*ॐ येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबली*
*तेन त्वा मनुबधनानि रक्षे माचल माचल।।*
*👉- फिर भाई को मिठाई खिलाएं, आरती उतारें और उसकी तरक्की व खुशहाली की कामना करें। भाई राखी बंधवाने के बाद बहन के चरण छूकर आशीर्वाद प्राप्त करे और उपहार दे। इसके बाद घर की प्रमुख वस्तुओं को भी राखी बांधें। जैसे- कलम, झूला, मुख्य द्वार आदि।*
*आचार्य निलय शुक्ल (वाराणसी) के अनुसार, रक्षाबंधन की एक कथा वामन अवतार से जुड़ी है। इसके अलावा एक कथा भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी से संबंधित है। वहीं एक अन्य कथा देवराज और उनकी पत्नी शचि के बारे में भी मिलती है। आगे जानिए इन कथाओं के बारे में...*
*कथा-1👇*
💐🔱राजा बलि देवताओं के स्वर्ग को जीतने के लिए यज्ञ कर रहे थे। तब देवताओं की रक्षा के लिए भगवान विष्णु वामन अवतार लेकर एक ब्राह्मण के रूप में राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुंचे। वामनदेव ने बलि से दान में तीन पग भूमि मांगी। बलि ने उन्हें तीन पग भूमि दान करने का वचन दे दिया।
वामनदेव ने अपना आकार बढ़ाकर एक पग में पृथ्वी और दूसरे में ब्राह्मांड नाप लिया। वामनदेव ने बलि से पूछा कि अब मैं तीसरा पैर कहां रखूं? तब बलि ने तीसरा पैर रखने के लिए अपना सिर आगे कर दिया। बलि के सिर पर पैर रखने से वह पाताल लोक पहुंच गया। प्रसन्न होकर वामनदेव ने उनसे वरदान मांगने को कहा।
राजा बलि ने भगवान विष्णु से कहा कि आप हमेशा मेरे साथ पाताल में रहें। भगवान ने ये बात मान ली।जब ये बात देवी महालक्ष्मी को पता चली तो वे पाताल गईं और राजा बलि की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर उसे भाई बना लिया। इसके बाद बलि ने देवी से उपहार मांगने के लिए कहा, तब लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को मांग लिया। राजा बलि ने अपनी बहन लक्ष्मी की बात मान ली और विष्णुजी को लौटा दिया।
*कथा-2👇*
🌺↪️महाभारत काल में युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ किया। यज्ञ में श्रीकृष्ण को मुख्य अतिथि बनाया गया। ये देखकर शिशुपाल आगबबूला हो गया और श्रीकृष्ण को अपमानित करने लगा। श्रीकृष्ण ने शिशुपाल की मां को वरदान दिया था कि वे शिशुपाल की सौ गलतियां माफ करेंगे। जैसे ही शिशुपाल की सौ गलतियां पूरी हो गईं, श्रीकृष्ण ने सुदर्शन से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया।
जब सुदर्शन चक्र वापस श्रीकृष्ण की उंगली पर आया तो उनकी उंगली पर चोट लग गई, जिससे खून बहने लगा, तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी में से एक टुकड़ा फाड़ा और श्रीकृष्ण की उंगली पर लपेट दिया। उस समय श्रीकृष्ण ने वरदान दिया था कि वे द्रौपदी की इस पट्टी के एक-एक धागे का ऋण जरूर उतारेंगे। जब युधिष्ठिर जुए में द्रौपदी को हार गए और दु:शासन ने भरी सभा में द्रौपदी के वस्त्रों का हरण करने की कोशिश की, उस समय श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की साड़ी लंबी करके उसकी लाज बचाई थी। इस कथा को भी रक्षासूत्र से जोड़कर देखा जाता है। अगर हम अपने इष्टदेव को रक्षासूत्र अर्पित करते हैं तो उनकी कृपा जरूर मिलती है।
*कथा-3👇*
🔱🌻एक बार देवता और दानवों में 12 वर्षों तक युद्ध हुआ, पर देवता विजयी नहीं हुए। तब इंद्र हार के भय से दु:खी होकर देवगुरु बृहस्पति के पास गए। गुरु बृहस्पति ने कहा कि युद्ध रोक देना चाहिए। तब उनकी बात सुनकर इंद्र की पत्नी महारानी शची ने कहा कि कल श्रावण शुक्ल पूर्णिमा है, मैं रक्षा सूत्र तैयार करूंगी। जिसके प्रभाव से इनकी रक्षा होगी और यह विजयी होंगे। इंद्राणी द्वारा व्रत कर तैयार किए गए रक्षा सूत्र को इंद्र ने मंत्रों के साथ ब्राह्मण से बंधवाया। इस रक्षा सूत्र के प्रभाव से इंद्र के साथ समस्त देवताओं की दानवों पर विजय हुई।
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ 〰️〰️〰️
*जनजागृति हेतु लेख प्रसारण अवश्य करें*🙏🏻
सन्तोषः परमो लाभः सत्सङ्गः परमा गतिः । विचारः परमं ज्ञानं शमो हि परमं सुखम् ॥
*शनिदेव महाराज जी की जय*
*समिति सामाजिक माध्यमों से जुड़े*👇🏻
_ :- https://bit.ly/3qKE1OS
https://t.me/JagratiManch
http://bit.ly/सनातनधर्मरक्षकसमिति
_*⛳⚜️सनातन धर्मरक्षक समिति*_⚜⛳
No comments:
Post a Comment