**राधास्वामी! 01-09-2021-आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
अरी हे सुहावन आली ,
प्रीतम खबर सुना दे ,
मनुआँ नित भटके ॥ टेक ॥
जब से मैं बिछड़ी स्वामी प्यारे से । जगत माहिं बँध रही तन मन से ।
बिरह घर की खटके ॥१ ॥
जब लग गुरु का संग न पावे ।
घर की ओर उलट कस जावे ।
जगत मोह झटके ॥२ ॥
दया होय सतगुरु आय मेलें ।
घर का भेद सुना सुर्त पेलें ।
घट धुन सँग लटके ॥३ ॥
मिल गुरु से अब लगन बढ़ाऊ ।
ध्यान धरत घट शब्द जगाऊँ ।
रही री नाम रट के ॥४ ॥
राधास्वामी धाम ओर सुत दौड़ी ।
सुन सुन शब्द हुई घट पोढ़ी ।
चली गुरु सँग गठ के ॥५॥
(प्रेमबानी-3-शब्द-2-पृ.सं.148,149)**
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
No comments:
Post a Comment