**राधास्वामी!! -
09-08-2021-आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
बार-बार करूँ बेनती। राधास्वामी आगे।। दया करो दाता मेरे। चित चरनन लागे।१।
पाठ
जन्म जन्म रही भूल में।नहीं पाया भेदा।। काल करम के जाल में। रही भोगत खेदा।२।
जगत जीव भरमत फिरें। नित चारों खानी।। ज्ञानी जोगी पिल रहे। सब मन की घानी।३।
भाग जगा मेरा आदि का। मिले सतगुरु आई।। राधास्वामी धाम का । मोहि भेद जनाई।४।
ऊँच से ऊँचा देस है। वह अधर ठिकानी।। बिना संत पावे नहीं। स्रुत शब्द निशानी।५।
राधास्वामी नाम की। मोही महिमा सुनाइ।। बिरह अनुराग जगाय के। घर पहुँचूँ भाई।६।
साधु संग कर सार रस। मैंने पिया अघाई।। प्रेम लगा गुरु चरन में। मन शांति न आई।७।
तड़प उठे बेकल रहूँ। कस पिया घर जाई।। दरशन रस नित नित लहूँ। गहे मन थिरताई।८।।
सुरत चढ़े आकाश में। करें शब्द बिलासा।। धाम धाम( निरखत चले। पावे निज घर बासा।९।
यह आसा मेरे मन बसे। रहे चित्त उदासा।। बिनय सुनो किरपा करो। दीजे चरन निवासा।१०।
तुम बिन कोई समरथ नहीं। जासे माँगूँ दाना।। प्रेम धार बरषा करो। खोलो अमृत खाना।११।
दीननदयाल दया करो। मेरे समरथ स्वामी।। शुकर करूँ गावत रहूँ। नित्त राधास्वामी।१२।।
( प्रेमबानी-1- शब्द-11- पृ.सं.123,124, 125,126)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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