राधास्वामी!! - / 16-08-2021-आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
छिन छिन मैं तुम्हरे आधारी।पल पल तुम्हरी याद सम्हारी।
चरन तुम्हार हिये में धारी।
अंग अंग से करूँ पुकारी। हे राधास्वामी पिता दयार।
लीजे मुझ को आज उबार।१।
भरमत रही जगत के माहिंँ।
तुम से मिल अब पाई ठायँ।
दृढ कर पकड़ी तुम्हरी बाँह।
राखो मोहि चरन की छाँह।
हे राधास्वामी अगम अपार। मोहि दिखाओ निज दीदार ।२।
अनेक बिकार धरे थे मन में।
दुखित रही मैं निस दिन तन तन में।
दया तुम्हारी परख अपन में।
सुखी हुई और रहूँ मगन मैं।
हे राधास्वामी परम उदार। तुमरी दया का वार न पार।३।
•••••••कल से आगे••••••
मानत रही ब्रह्म और देवा।
बहु दिन करत रही उन सेवा।
जब तुम मिले परम सुख देवा।
तब पाया धुर घर का भेवा।
हे राधास्वामी किरपा धार। भेद दिया तुम निज घर बार।४।
मैं अति नीच निकाम नकार।
नख सिख औगुन भरे बिकार।
तुम दरशन दे लिया सम्हार।
तन मन के मेरे तुम रखवार।
हे राधास्वामी कुल दातार। मोहि को लिया सुधार।५।
महिमा तुम्हरी क्योंकर गाई।
कहत कहत मैं कहत लजाई।
मेहर करी मोहि लिया अपनाई।
निज चरनन की दई सरनाई।
हे राधास्वामी कुल करतार। सब रचना तुम्हें आधार।६।
वाह वाह तुम सतगुरु पूरे।
वाह वाह तुम समरथ सूरे।
रूप तुम्हार सिंध सत नूरे।
सदा रहूँ तुम चरन हज़ूरे।q
हे राधास्वामी दया बिचार। रखो मोहि निज चरनन लार।७।
(प्रेमबानी-1-शब्द-15-पृ.सं.130,131,132)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
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