राधास्वामी!! / 20-08-2021-
आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
सतगुरु प्यारे ने चिताये, जीव घनेरे हो।।टेक।।
सब जिव भरम रहे जग माही़।
भोगन संग अधिक लिपटाईं।
पड़े अँधेरे हो।१।
सतगुरु हेला मार सुनावें।
घट में घर की राह लखावें।
चेतो याहि उजेरे हो।२। काल शिकारी मग में ठाड़ा।
बिघन अनेक लगावत भारा।
गुरु सँग भाग सवेरे हो।३।
गुरु उपदेश धार लो मन में।
शब्द संग चढ चलो गगन में।
मत कर देर अबेरे हो।४।
राधास्वामी दया सेव बन आई।
सुन सुन धुन स्रुत अधर चढाई।
पाय गई पद नेड़े हो।५।
(प्रेमबानी-3-शब्द-38 -पृ.सं.136,137) 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
[8/20, 13:44] +91 98554 79797: राधास्वामी!! - 20-08-2021-आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:- आरत गाऊँ राधास्वामी आज। तन मन लीजे कीजे काज।१। जग में रहूँ अचित उदासा। चरनन में चित्त सहज निवासा।२। प्रेम सहित प्रीतम रँग राजा। सेवा कर मन होत हुलासा।३। छवि सतगुरु की अति मन भाई। काल करम दोउ देख डराई।४। दया मेहर क्या बरनूँ भाई । सतगुरु ने मोहि लिया अपनाई।५। ऊँचा मत और देस रँगीला। सहज जोग स्रुत शब्द रसीला।६। सत्संग कर अंतर और बाहर। चरन परस पहुँचूँ मैं धुर घर।७।। अचरज देस और अचरज बानी। राधास्वामी चरन सूरत लिपटानी।८।। (प्रेमबानी-1-शब्द- पहला- बचन सातवाँ- पृ.सं. 134,133 ) 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
No comments:
Post a Comment