: *राधास्वामी!* / 26-08-2021-आज सुबह पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
सतगुरु प्यारे ने खुलाया।
घट प्रेम खज़ाना हो ॥ टेक ॥
मेहर दृष्टि मेरे सतगुरु डाली ।
सुरत शब्द सुन घट में चाली ।
मन हुआ आज निमाना हो ॥१ ॥*
**रूप अनूप देख हिये माहीं ।
सुरत निरत दोउ घट घिर आईं ।
मन हुआ प्रेम दिवाना हो ॥२ ॥
मद और मोह अहँगता त्यागी ।
भक्ति नवीन हिये में जागी ।
गुरु पै बल बल जाना हो ॥३ ॥
गुरु छबि मोहि लगी अति प्यारी ।
बार बार चरनन पर वारी ।
सुध बुध सब बिसराना हो ॥४ ॥*
*मेहर दया ले चढी गगन में।
गरु बतियाँ सुन हुई मगन में ।
काल और करम हिराना हो ॥५ ॥
सुन में जा हुई हंसन प्यारी ।
अमी धार जहाँ हर दम जारी ।
पी पी अमी अघाना हो ॥६ ॥
भँवरगुफा जाय लागी ताड़ी ।
धुन मुरली जहँ बजत करारी ।
छूटा आना जाना हो ॥७ ॥
सतपर सतगुरु दरस दिखानी ।
बीन सुनत स्रुत हुई मस्तानी ।
अचरज खेल खिलाना हो ॥८ ॥
अलख अगम के पार ठिकाना । राधास्वामी दरस दिखाना ।
चरनन माहि समाना हो ॥९।।
(प्रेमबानी-3-शब्द-42-पृ.सं.142,143)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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राधास्वामी सुमिरन ध्यान भजन से। जनम सुफल कर ले।
राधास्वामी सुमिरन ध्यान भजन से। जनम सुफलतर कर ले।
राधास्वामी सुमिरन ध्यान भजन से। जनम सुफलतम कर ले।।
राधास्वामी सुमिर सुमिर ध्यान भजन से। जनम सुफलतर कर ले।
राधास्वामी सुमिर सुमिर ध्यान भजन से। जनम सुफलतम कर ले।।
राधास्वामी सुमिर सुमिर रूनझुन शब्द सुनाई हो।।
राधास्वामी सुमिर सुमिर रूनझुन शब्द सुनाई हो।।
राधास्वामी दोउ रिमझिम मेघा
एवं रूनझुन शब्द मिलाई हो।।
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