**राधास्वामी! 28-08-2021-आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
सुरत रँगीली आरत धारी। जग सुख तज सतगुरु आधारी ॥१ ॥
हिया कँवल थाली कर लाई । धुन विवेक घट जोत जगाई ॥२ ॥
घंटा संख मृदंग बजाई ।
अमी धार सुन से चल आई ॥
भँवरगुफा मुरली धुन बाजी
सतपुर माहिं बीन धुन गाजी ॥४ ॥
अलख अगम के पार निशानी।
राधास्वामी दरस दिखानी।।५।।
काल करम बहु बिघन लगाई ।
राधास्वामी दया खेप निभ आई ॥६ ॥
प्रेम प्रीति चरनन में लागी ।
राधास्वामी दरशन सूरत पागी ॥ ७ ॥
•••••कल से आगे••••
क्या महिमा अब राधास्वामी गाऊँ । बार बार चरनन बल जाऊँ ॥ ८ ॥
जगत जाल से आप बचाया ।
चरन सरन दे मोहि अपनाया ॥ ९ ॥
सुरत शब्द मारग बतलाया ।
बल अपना दे अधर चढ़ाया ॥१० ॥
सुरत रँगी अब प्रेम रंग से ।
राधास्वामी गुन गाऊँ मैं उमँग से ॥११ ॥
निस दिन रहूँ चरन रस माती ।
राधास्वामी गोद खेल दिन राती ॥१२।।
(प्रेमबानी-1-शब्द-7-पृ.सं.141,142)**
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