राधास्वामी! 28-08-2021-आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:
-सतगुरु प्यारे ने पढ़ाई घट की पोथी हो ॥टेक ॥
जगत भाव में रही भुलानी ।
बाहरमुख जुगती रही कमानी ।
किरत करी सब थोथी हो ॥१ ॥
जब से सतगुरु संग लगाई ।
सार बचन मोहि दिये समझाई ।
जाग उठी स्रुत सोती हो ॥२ ॥
सतसँग करत बिकार घटाती ।
घट धुन में नित सुरत लगाती ।
दिन दिन कलमल धोती हो ॥३ ॥
गुरु चरनन बढ़ती अनुरागा ।
जग भोगन से चित बैरागा ।
धुन में सूरत पोती हो ॥४ ॥
दया हुई स्रुत नभ पर चढ़ती ।
घंटा और संख धुन सुनती ।
निरख रही घट जोती हो ॥ ५।।
बंकनाल धस त्रिकुटी धाई ।
काल करम दोउ रहे मुरझाई ।
माया सिर धुन रोती हो ॥६ ॥
सत्तपुरुष के चरनन लागी ।
राधास्वामी धुन सँग सूरत पागी ।
चली प्रेम कियारी बोती हो ॥ ७ ।।
(प्रेमबानी-3-शब्द-44-पृ.सं.145,146)
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
No comments:
Post a Comment