**राधास्वामी!! - / 05-08-2021-आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
सतगुरू प्यारे ने नचाया, मनुआँ नटवा हो।।टेक।।
जुगन जुगन से जग में बहता।
भोग बासना सँग दुख सहता।
झाँका औघट घटवा हो।१।
जग ब्वयोहार लगा अब साँचा।
कुल मालिक का भेद न जाँचा।
भूला घर की बटवा हो।२।
सतगुरु संत मिले किरपा से।
भेद दिया उन मोहि दया से।
मन हुआ चरनन लटवा हो।३।
मन रहा खेल कला ज्यों नट की।
ख़बर लेत स्रुत चढ सर तट की।
सुशत रही धुन छटवा ह़।४।
राधास्वामी दया गई स्रुत सतपुर।
अलख अगम फिर मिलें परम गुरु।
काज किया मेरा झटवा हो।।
(प्रेमबानी-3-शब्द-23-पृ.सं.120,121)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
*राधास्वामी!! - / 05-08-2021-आज शाम सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
कैसे करूँ चरन में बिनती। मेरे औगुन जायँ नहिं गिनती।१।
मैं भुला चूका भारी। गुर बचन चित्त नहिं धारी।२।
माया के रंग रंगीला। मन इंद्री भोग रसीला।३।
तन मन धन संग बहू फूला। गुरु चरननन मारग भूला।४।
यों बीत गए दिन सारे। रहा भरमत जक्त उजाड़े।५।
सुध सतगुरु देस न लीनी। रहा माया संग अधीनी।६।
मद मोह मान भरमावत। नित काम क्रोध सँग धावत।७।
नित लोभ लहर में बहता। जग जीवन सँग दुख सहता।८।
गुरु भक्ति रीत न जानी। गुरु सतगुरु सीख न मानी।९।
गुरु दाता भेद बतावें। नित सतसँग बचन सुनावे।१०।
यह ढीठ निडर नहीं चेते। धोखे सँग आपा रेते(११)
गुरु का भय भाव न लावे। निज मान भोग रस चावे।१२।
क्या कीजे बस नहिं चाले। कस काटूँ मन जंजाले।१३।
(प्रेमबानी-1- शब्द-10-पृ. सं.119, 120 )
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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