राधास्वामी!! - /18-08-2021-आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
सतगुरु प्यारे नहीं मेहर से, दिया भक्ति दाना हो।।टेक।।
सुरत अजान जगत में बहती। करम भरम संग दुख-सुख सहती। मिला न ठौर ठिकाना हो।१।
तीरथ बर्त नेम आचारा। बाचक ज्ञान बिबेक सम्हारा। निज घर भेद न जाना हो ।२।
संत दयाल मिले मोहि जबही। घर का भेद दिया उन तबही। भजन भक्ति और ध्यान हो।३।
बचन सुना परतीत बढाई। घट परचे दे प्रीति जगाई। हिये में उमँग समाना हो।४।
मन और सुरत लगे घट धुन में। गुरु मारग रहे चलन अपन में। राधास्वामी धाम निशाना हो।५।
(प्रेममानी-3- शब्द- 36 -पृष्ठ 134, 135)
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
No comments:
Post a Comment