**राधास्वामी!! 04-01-2021- आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) गुरु चरनन लौलीन सुरत जग किरत हटाई। मन इंद्रियन सँग प्यार और ब्यौहार घटाई।। सतसँग प्यारा लागता और सुरत शब्द अभ्यास। सतगुरू सेवा धार कर हिये होवत नित्त हुलास।। रीति गुरु भक्ति लगी प्यारी।। (प्रेमबानी-4-शब्द-5-पृ.सं.71,72)
(2) हित की बात खोल कहूँ प्यारे गुरु पूरे का खोज लगाना।।टेक।।-(गुरु पूरे भगवंत पहिचानो गुरु पूरे का खोज लगाना।।) (प्रेमबिलास-शब्द-119- पृ.सं.175,176)
(3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**राधास्वामी!!
04- 01 -2021 -आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन -
कल से आगे-( 112)-
आप विचार कीजिये- बिजली की शक्ति इस पृथ्वीलोक में व्यापक है और कोई ऐसी जगह नहीं है जहाँ वो विद्यमान न हो, किंतु इस व्यापक बिजली का तो मनुष्य को दर्शन नहीं हो सकता। जब वह बिजली विशेष रूप धारण करके बादलों में प्रकट होती है या बिजली के लैम्प में प्रकाश करती है तभी मनुष्य उसे देख सकता है। इसी प्रकार परमात्मा हर जगह विद्यमान रहता हुआ किसी को दिखाई नहीं देता, किंतु जब वह किसी विशेष मनुष्य शरीर में अपने को प्रकट करता है तो उसकी व्यापकता में कोई दोष नहीं आता और संसार के लोगों को उसका दर्शन हो जाता है।
आप इस संबंध में पंडित राजाराम साहब प्रोफेसर D.A.V. कॉलेज के वेदांत- दर्शन -भाष्य के पृष्ठ १७१ का अवलोकन कीजिये। अंतराधिकरण के सूत्र १४ की व्याख्या करते समय लिखा है-" जैसे सर्वगत भी विद्युत (व्यापक बिजली ) अपनी विशेष महीमा से मेघादि ( बादलों वगैरह) में दृश्य होता है (नजर आती है)- इसी प्रकार सर्वगत भी परमात्मा जहाँ अपनी विशिष्ट महिमा से द्रष्टव्य होता है (नजर आने के काबिल यानी प्रकट होता है) वही उसकी उपासना का स्थान बतलाया जा सकता है"।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
यथार्थ प्रकाश -भाग दूसरा
- परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**
No comments:
Post a Comment