**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज- रोजाना वाक्यात
-कल से आगे-
सुबह कॉरस्पॉडेंस के वक्त सत्संगियों के कर्तव्यों के मुतालिक बातचीत हुई ।तीसरे पहर मिस्टर एल्फ्रेड सोर्नलेन मिलने के लिए आये। वह कल मथुरा जा रहे हैं। उन्होंने शुकराने की एक लंबी चिट्ठी भेजी थी। जवाब में मैंने मुलाकात करना मुनासिब समझा। दयालबाग देखकर बेहद खुश हुए। डेरी में अपने मुल्क की मशीनरी देखकर उनका दिल बाग बाग हो गया।। रात के सत्संग में सत्संगियों के कर्तव्यों के विषय पर दोबारा बातचीत हुई। और उस समय उपस्थित भाइयों और बहनों ने दिलोजान से सत्संग की तरक्की और व्यवहारिक जिंदगी के जरिये राधास्वामी दयाल के पवित्र उपदेश के प्रसार के लिए कोशिश करने का निश्चय किया। यह बयान हुआ कि सतसंग को यह पसंद न होगा कि उपदेशको के जरिये राधास्वामी मत की तालीम की जांच की जावे । सत्संग चाहता है कि हमारे जीवन ऐसे स्वच्छ और उत्तम हो, हमारी रहनी सहनी ऐसी साफ-सुथरी व शांति लिये हो कि ख्वाहमख्वाह दूसरों को सतसंग की तालीम से वाकफियत हासिल करने का शौक हो। स्पष्ट रूप से यह काम निहायत मुश्किल है। लेकिन इसके जरिये खुद हमारा और दूसरे बेशुमार जीवों का कल्याण होता है। गीता में आया है की जगत और परलोक सिर्फ ऐसे लोगों के लिए है जो कुर्बानी की जिंदगी बसर करने का शौक रखते हैं ।सत्संगियों पर फर्ज है कि वह अपने लिये यानी दुनिया के भोग बिलास की खातिर जिंदगी बसर न करें। वह अपनी जिन्दगी राधास्वामी दयाल के अरपन करें, उन्ही के निमीत्त जिये, उन्ही के निमित्त काम करें। इसी किस्म की जिन्दगी से मालिक से सच्चा व गहरा नाता जुडता है । जब हम इस तरह मालिक को अपना कर लेंगे तभी वह हमें अपनायेगा । इसके बाद मिलकर जिंदगी बसर करने के लाभ बयान हुए। मिसाल के तौर पर कहा गया कि सत्संगियों ने जरा मिलकर काम किया तो सुगमता से तुरंत इतनी इंस्टीट्यूशन्ज कायम हो गया। स्त्रियों ने जरा कोशिश की और गर्ल्ज हाई स्कूल कायम हो गया। कपडे का कारखाना कामयाब हो गया। अब सब भाई व बहने तहैया कर रहे हैं कि डेरी का मक्खन व घी का इस्तेमाल किया करेंगे। देखते ही देखते डेरी भी कामयाब हो जायेगी। गर्जे की कोई दुनियवी काम ऐसा नहीं है जो सहमति से मिल जाने पर कामयाब न हो जाये। अभी बाज लोग हमारी हँसी उड़ाते हैं लेकिन कुछ दिनों के बाद वह खुद हमारा अनुसरण करेंगे। 🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**
Nice
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