Saturday, October 17, 2020

दयालबाग़ सतसंग 17/10

  **राधास्वामी!! 17-10-2020- 

आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-  

                                

(1) मैं सतगुरु पै डालूँगी तन मनa को वार। मैं चरनों में कुरबान हूँ बार बार।। जो मालिक का भेद इनसे कहवे कोई। उडावें हँसी और न मानें कभी।।-(निहायत दुखी होके चिल्लायेंगे।यह गफलत का फल अपना यों पायेंगे।।) 

(प्रेमबानी-3-मसनवी-8,पृ.सं.404-405)                                                


  (2) स्वामी मेहर बिचार बचन धीरज अस बोले। सुनहु भेद अब सार r हूँ तुमसे खोले।।  चिकना था वह पेड खडा इक दम था सीधा। बल पौरुष सब लाय कीट कुछ ऊपर पहुँचा।।-  (पक्षी सुन यह बोल कहा निज दयि उमाये। लेट जाव तुम सीध चोंच में लेउँ उठाये।।)     

         

(प्रेमबिलास-शब्द-72-उत्तर,पृ.सं.100-101)     

                                                  

(3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।।                           🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**राधास्वामी!! 17-10-2020 -

आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन -कल से आगे -(18)' गुरु ' शब्द का अर्थ अंधेरे में प्रकाश कर

ने वाला अर्थात शिष्य को रोशनी देने वाला है । और जोकि हर लौकिक विद्याएँ  पढ़ाने वाला भी शिष्य को एक प्रकार की रोशनी देता है इसलिए इस शब्द का लौकिक विद्याऐं पढ़ाने वाले के लिए भी प्रयोग होता है। पर सतगुरु शब्द केवल ब्रह्म अर्थात आध्यात्मिक विद्या सिखलाने वाले ही के लिए प्रयुक्त किया जाता है । हम नीचे अन्य मतों के प्रमाणिक ग्रंथों से कुछ प्रमाण पेश करते हैं, जिनके पढ़ने से ज्ञात होगा कि सतगुरु की महिमा, सम्मान और सेवा के संबंध में जो कुछ राधास्वामी मत में उपदेश किया गया है कोई नई बात नहीं है।                -          🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻                                           यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा-परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**

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