**परम गुरु हुजूर महाराज- प्रेम पत्र -भाग 1-
कल से आगे-( 5 )
खुलासा यह है कि दुनियाँ के सब कामों में यह आदमी तन मन और धन और अपना वक्त लगाने को तैयार रहता है जो उसे इन चारों पदार्थ की, जिनका जिक्र दफा तीन में हुआ है, प्राप्ति या तरक्की की मुमकिन होवे। यानी दुनियाँ और उसके भोगों को ही एक बड़ी न्यामत समझकर उन्हीं की कदर करता है और उन्हीं में दिल लगाता है। पर सच्चे मालिक की भजन और बंदगी या अपने जीव के सच्चे कल्याण के वास्ते यह शख्स किसी किस्म की तलाश या मेहनत या खर्च करने में हमेशा एतराज वक्त न होने का पेश करके दिल चुराता है ।और जो कोई इस काम के लिए इस पर दबाव डालें, तो फौरन अपना अविश्वास मालिक की तरफ से जाहिर करता है, या यह कि वह मालिक किसी की बंदगी और भजन का जरूरतमंद और चाहने वाला नहीं है, या यह कि इन कामों की कोई जरूरत खास मालूम नहीं होती है,या जीव सच्चे मालिक की अंश और अमर होने की निस्बत अपना शक और संदेह जाहिर करने को तैयार होता है, या ऐसे सवाल पेश करता है जिनके जवाब हर एक आदमी न दे सके और जिससे परमार्थ के काम करने की जरूरत गलत साबित हो जावे। क्रमशः 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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