**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज -
【स्वराज्य 】
कल से आगे:-
शाह- आप आशीर्वाद दें कि हमारे राज्य दुनिया में हमेशा कायम रहे।।
उग्रसेन- मेरे आशीर्वाद देने से क्या फायदा जबकि सब जानते हैं कि किसी का राज्य से हमेशा कायम नहीं रहा?
शाह- मगर संन्यासियों के आशीर्वाद में भी तो बडा बल होता है?
उग्रसेन -सृष्टिनियमों से वाकिफ संन्यासी सोच समझकर ही आशीर्वाद दिया करते हैं।
शाह- यह दुरुस्त है कि अब तक किसी का राज्य हमेशा कायम नहीं रहा मगर इसके यह मानी कैसे हो सकते हैं कि आइंदा भी किसी का राज्य हमेशा कायम न रहेगा?
उग्रसेन- आपका एतराज बजा है लेकिन अगर मेरी राय दरयाफ्त की जावे तो मैं अर्ज करूँगा कि संसार में राज्य किसी इंसान का नहीं होता। राज्य दरअसल भावों और आदर्शों का होता है और चूँकि भाव और आदर्श इंसान ही के हृदय में कायम रह सकते हैं इसलिए जिस कौम या इंसान के दिल में भाव और आदर्श कायम हो, जो सच्चा मालिक संसार में फैलाया चाहता है, उस कौम या इंसान को संसार में राज्य मिल जाता है क्योंकि ऐसे ही लोगों की मार्फत उन भावों और आदर्शों का संसार में पूरे तौर पर प्रचार हो सकता है - इसलिये जब तक आपका दिल और आपकी संतान का दिल उन भावों और आदर्शों को, जो सच्चा मालिक आयंदा संसार में फैलाने की मौज करें, कबूल करता रहेगा उस वक्त तक आपका और आपकी संतान का राज्य कायम रहेगा। शाह- अगर हमारा दिल उस किस्म का हो, जैसे कि आप चाहते हैं, तब तो हमारे राज्य हमेशा कायम रह सकता है?
उग्रसेन -जरूर।
शाह- ऐसी हालत में तो आप हमारे लिये आशीर्वाद देने को तैयार होंगे ?
उग्रसेन-बिला सुबह लेकिन अव्वल मेरा इत्मीनान होना चाहिये कि आपका और आपकी हुकूमत का दिल इस किस्म का है।
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
No comments:
Post a Comment