**राधास्वामी!!-25-10-2020-
आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) आज प्यारी तू समझ सोच के कर काम अपना।।टेक।। क्यों पचो दुनिया में यह देश तुम्हारा नाहीं। मिलके सतगुरु से करो खोज भला धाम अपना।।-(राधास्वामी की सरन धार के चलना घर को। उनके चरन अंबु से तुम नित्त भरो जाम अपना।।) (प्रेमबानी-4-गजल 4 पृ.सं.5-6)
(2) सुनकर बिनय नवीन मेहर स्वामी को आई। जीवन के हित अर्थ बचन यों बोल सुनाई।। भूले तन की पीड और रोना भी भूले। बार बार सिल बाट धरे बूटी और झूले।।-(जस रोगी ले आस करे बूटी का सेवन। खोजी धर बीश्वास रहे कुछ दिन गुरु चरनन।।) (प्रेमबिलास-शब्द-76-उत्तर,पृ.सं.107-108)
(3) यथार्थ प्रकाश-भाग-दूसरा-कल से आगे।।
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**
**राधास्वामी!! 25-10 -2020
शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे-( 25)
अब दो चार बचन फकीरों के पेश किए जाते हैं। हर की ख्वाहद हम नशीनी बा खुदा। गो नशीं अन्दर हजूरे औलिया। अर्थ -जो मालिक से एकता चाहता है उसको उचित है कि औलिया( सिद्धपुरुष) के दरबार में जाकर बैठे अर्थात् उनका सत्संग करें।।
हम नशीनी साअते बा औलिया। बेहतर अज सद साला ताअत बेरया। अर्थ- औलिया के दरबार में एक घड़ी हाजिर रहना सो वर्ष की निर्मल भजन बंदगी से बेहतर है।।
दर बशर रूपोश कर दस्त आफताब। फहमकुन वल्लाह आलम बिल सवाब। अर्थ- सतगुरु क्या है ? मनुष्य के अंदर सूर्य छिपा हुआ है। तू पहचान कर और अल्लाह दुरुस्ती और सच्चाई को भली प्रकार जानता है ।।
गुफ्त पैगंबर कि हक फरमूदा अस्त। मन न गुंजम हेच दर बाला व पस्त। दर जमीनो आसमानो अर्श नीज। मन न गुंजम ईं यकीं दाँ ऐ अजीज। दर दिले मोमिन बिगुंजम ईं अजब । गर मरा ख्वाही अजाँ दिल हा तलब।।
अर्थ- पैगम्बर साहब ने फरमाया कि खुदा ताला फरमाता है कि मैं किसी ऊँचे व नीचे स्थान पर नहीं बसता हूँ। मैं न जमीन पर रहता हूँ, न आस्मान पर और न अर्श पर। ऐ प्यारे! तू इस बात को सच मान।
मैं मोमिन यानी भक्त के हृदय में निवास करता हूँ। अगर तू मुझसे मिलना चाहता है तो वहाँ से तलब कर।। 🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻
यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा
- परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**
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