**राधास्वामी!! 26-10-2020
-आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) आज आनंद रहा मौज से चहुँ दिस छाई। राधास्वामी की रहे सब मिल महिमा गाई।।-( उमँग उमँग हर कोई देता है मुबारकबादी। राधास्वामी रह़े निज मेहर से नित प्रति सहाई।।) (प्रेमबानी-4-गजल-5,पृ.सं.6-7)
(2) सुनकर विनय नवीन मेहर स्वामी को आई। जीवन के हित अर्थ बचन यों बोल सुनाई।। सेवा निसदिन कर प्रीति से घिस तन मन को। सँघ में बैड जाग खोल के नैन श्रवन को।।-(राधास्वामी कहा सूनाय यही है बढके उपावोः गुरु सँग करके बास प्रीति मन माहिं बढाव़ो।। (प्रेमबिलास-शब्द-76,पृ.सं.108)
(3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**राधास्वामी!! 26-10 -2020
शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन
- कल से आगे-( 25) का शेष:-
औलिया ईतफाले हक अन्द ऐ पिसर। हाजिरी व गायबी अन्दर नजर।। अर्थ- बेटा! औलिया मालिक के निज पुत्र होते हैं और अंतर बाहर मालिक की उन पर नजर रहती है।।
पीर रा बिगुर्जी कि बेपीर ईं सफर। हस्त पुर अज फितना व खौफो खतर।। अर्थ- तू सतगुरु की शरण ले। सतगुरु की सहायता के बिना इस सफर( यात्रा) में तुझे बहुत सी7 कठिनाइयों और भयानक घटनाओं का सामना करना पड़ेगा।।
हेच न कुशद नफ्स रा जुज जिल्ले पीर। दामने आँ नफ्स कुशरा शख्स गीर। जिल्ले पीर अन्दर जर्मी चूँ कोहे काफ। रूहे ऊ सीमुर्ग व बस आली तवाफ। पस बिरौ खामोश बाश अज अन् कयाद। जेरे जिल्ले अमरें शेखे ओस्ताद।-अर्थ- मन को सिवाय सतगुरु की छाया के और कोई शक्ति नष्ट नहीं कर सकती, इसलिए तुझे चाहिए कि उस मन को मर्दन करने वाले का पल्ला मजबूती से पकड़ ।
सतगुरु की छाया (शरीर) पृथ्वी पर कोहे काफ( एक पर्वत का नाम) की तरह रहती है, पर उनकी सुरत सीमुर्ग(एक पक्षी का नाम) की तरह ऊँचे आस्मान पर चक्कर लगाती है; पस जा और आज्ञाकारी होकर पूरे सतगुरु के चरणो में चुपचाप बैठ।।
अज हदीसे ओलिया नरमो दुरुश्त। तन मपोशाँ जाँकि दीनता रास्त पुश्त।।
अर्थ- औलिया के बचनों से, चाहे वे सख्त हों या नरम, मुँह मत फेर क्योंकि उनसे तेरा विश्वास दृढ होगा।
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻
यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा-
परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**
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