**राधास्वामी/ 18-10-2020-
आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन
- कल से आगे -(19)
पहले उपनिषदों को लीजिये। मुण्डक उपनिषद में आता है- " पर ये नौकाएँ है जो यज्ञरुप है अठारह, जिनमें ज्ञान से निचले दर्जे का कर्म बतलाया गया है । जो मूढ इसी को परम कल्याण जानकर प्रशंसा करते हैं वे फिर भी जरा और मृत्यु को प्राप्त होते हैं,.......... कर्मों से जो लोक लाभ किये जाते हैं उनकी परीक्षा करके ( उनकी नाशमानता को जान कर) ब्राह्मण को चाहिए कि उन इच्छाओं से वैराग्य को प्राप्त हो क्योंकि जो अकृत है वह कृत अर्थात कर्म से नहीं प्राप्त किया जाता । उसके जानने के लिए ब्राह्मण को हाथों में समिधा( शब्दार्थ- हवन करने के लिए पलाशादि की लकडियाँ। यह शिस्यता ग्रहण करने का चिन्ह् है) लेकर एक ऐसे गुरु के पास जाना चाहिए जो श्रोत्रिय और ब्रह्मनिस्ट अर्थात वेद का जानने वाला और ब्रह्म में एकाग्र-चित्र हो"( मुण्डक उपनिषद, पहला मुण्डक, दूसरा खंड, श्लोक 7 और 12)
( 20 ) इसी प्रकार श्वेताश्वतर उपनिषद में आया है कि जिसकी परमात्मा में परम भक्ति हो और जैसी परम भक्ती परमात्मा में हो वैसी ही गुरु में हो, ऐसे महात्मा ही को इस उपनिषद के उपदेश समझ में आवेंगे (देखो छठा अध्याय, श्लोक 23)
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा- परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**
**राधास्वामी!! 18-10-2020- आज भंडारा के अवसर शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) धन धन धन मेरे सतगुरु प्यारे। करूँ आरती नैन निहारे।। -(क्या महिमा मैं उनकी गाऊँ। उमँग उमँग चरनन लिपटाऊँ।। (प्रेमबानी-1--शब्द-8,पृ.सं 143-144)
(2) बार बार कर जोर कर, सविनय करूँ पुकार। (राधास्वामी गुरु समरत्थ, तुम बिन और न दूसरा।अब करो दया परत्क्ष, तुम दर ऐती बिलँब क्यों।। दया करो मेरे साइयाँ, देव प्रेम की दात। दुःख सुख कछु ब्यापै नहीं, छुटे सब उत्पात।। ) (अमृत बचन-जमीमा-।।सोरठा।।,पृ.सं.2) सतसंग के बाद:- (1) धन्य धन्य सखी भाग हमारे धन्य गुरु का संग री।।टेक।। (प्रेमबिलास-शब्द-126,पृ.सं.185)
(2) निज गुन भाट जगत बहुतेरे। पर गुन ग्राहक नर न घनेरे।। (अमृत बचन-जमीमा-चौपाई।) (3) ड्रामा आडियो -हमने दर परदा तुझे शम्से जबीं देख लिया।। .
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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