*राधास्वामी!! 11-10-2020- आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) सतगुरु दीजे मोहि इक दात।।टेक।। नीच निबल मैं गुन नहिं कोई। बल पौरुष कुछ जोर न गात।।-(राधास्वामी प्यारे होउ सहाई। बाल तुम्हारा रहा बिलकात।।) प्रेमबिलास-शब्द-78,पृ.सं.110)
(2) निज रुप पूरे सतगुरु का प्रेम मन में छा रहा। बचन अमृत धार उनके सुन अमी में नहा रहा।।(सारबचन-शब्द-गजल तीसरी-पृ.सं.432)
सतसंग के बाद:-
(1) कहूँ क्या हाल मैं अपना सराहूँ भाग क्या अपने। मनोहर रुप प्यारे ने किया रोशन मेरे घट में।। (प्रेमबिलास-शब्द-44,पृ.सं.55)
(2) राधास्वामी धरा नर रुप जगत में। गुरू होय जीव चिताये।। (सारबचन-शब्द-दूसरा,पृ.सं.14)
(3) तमन्ना यही है कि जब तक जिऊँ। चलूँ या फिरुँ या कि मेहनत करुँ।। पढूँ या लिखूँ मुहँ से बोलूँ कलाम। न बन आये मुझसे कोई ऐसा काम।। जो मर्जी तेरी के मुआफिक न हो। रजा के तेरी कुछ मुखालिफ जो हो।।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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