**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज- रोजाना वाकयात
- कल से आगे:
- रात के सत्संग में जनता की राय के मुतअल्लिक़ जिक्र हुआ। एक तरफ तो यह कहा जाता है कि काम करने वाले को अपने काम में लगे रहना चाहिये और किसी के कहने सुनने की तनिक भी परवाह न करनी करनी चाहिये और दूसरी तरफ यह कहा जाता है कि वर्तमान में जनता की राय अपने हक में किये बगैर कभी काम नहीं चल सकता।
और जनता की राय का हाल यह है कि सुन सुन कर तबीयत उद्विग्न होती है । कुछ लोग कहते हैं दयालबाग के लोगों ने इतनी इंडस्ट्रीज चला कर मुल्क की जबरदस्त खिदमत की है और दूसरे लोग कहते हैं कि दयालबाग के लोगों ने परमार्थ में दुकानदारी दाखिल करके मजहब व रुहानियत को बदनाम कर दिया है।
कुछ लोग कहते हैं कि दयालबाग वाले अपनी चीजें मँहगी कीमत पर बेचकर लाखों रुपए कमा रहे हैं । और दूसरे लोग कहते हैं दयालबाग के सब कारखाने घाटे पर चल रहे हैं । वहां की सभा भेंट के रूप से नुकसान पूरा करके हैं काम चला रही है और झूठ मुठ के लिए मशहूर किया जा रहा है कि कारखाने खूब चल रहे हैं।
कुछ लोग कहते हैं कि दयालबाग के लोगों ने अविष्कार की कला में कमाल दिखाया हैं और दूसरे लोग कहते हैं कि दयालबाग के लोग पब्लिक को सख्त धोखा दे रहे हैं। वह कोई चीज खुद निर्माण नहीं करते।
जर्मनी व जापान से पुर्जे मँगा कर चीजे बनाते हैं और मुफ्त की शाबाश लेते हैं। यह सब बातें हैं। इनके लफ्जों पर नहीं जाना चाहिये। जनता की राय दरयाफ्त करने के लिए यह देखना चाहिये कि आया पब्लिक दयालबाग की शिल्पों का पोषण करती है या नहीं ।
अगर पोषण करती है तो यही समझना चाहिए कि जनता की राय दयालबाग के हक में है। आपत्तिकर्ताओं के एतराजात की अनेक वजह हो सकती है । और इसी मानी में कहा जाता है कि लोगों के कहने सुनने की परवाह ना करनी चाहिये।🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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