**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-
【 स्वराज्य】- नाटक
कल से आगे:-
(तीसरा दृश्य )-
स्थान शहर लाहौर में गवर्नर की अदालत।।
[ वृद्धा, राजकुमारी ,उग्रसेन, व यूनानी पुलिस अफसर हाजिर है -उग्रसेन के हथकड़ी लगी है -गवर्नर इजलास में आकर बैठता है]
गवर्नर -(मिसिल खोलकर और पुलिस अफसर से मुखातिब होकर) बड़ा संगीन जुर्म लगाया है जी! पुलिस अफसर- हुजूर! इन लोगों ने 13 बैसाख को महिलासमाज के जल्से में निहायत भड़काने वाली तकरीरें व हरकतें की। मुझे मजबूरन जलसा बर्खास्त कर आना पड़ा वरना संभव था कि बलवा हो जाता।।
गवर्नर-( कागज उलट कर) तकरीरों का खुलासा एक तो तुम्हारा लिखा है , और दूसरा किसका है?
अफसर- हुजूर ! मेरे नायाब का है।
गवर्नर-जगह जगह पर खाली जगह छोड़ रक्खी है , इसकी क्या वजह है?
अफसर- इन लोगों ने दौराने तकरीर में जान बूझकर निहायत मुश्किल संस्कृत अल्फाज इस्तेमाल किये ताकि हमारी समझ में न आवें और हम उनकी तकरीरों का पूरा मतलब समझने से कासिर रहें।
गवर्नर- देखो ! तुम्हें इस संन्यासी के हथकड़ी नहीं लगानी चाहिये थी- तुम्हे मालूम नहीं कि बादशाह सलामत संन्यासियों की कितनी ताजीम करते हैं?
अफसर-(झट से हथकडी खोल देता है) हुजूर! खता हुई लेकिन यह शख्स निहायत मखदूश है-अपने तई साबिक राजा नगरकोट बतलाता है।
गवर्नर- कुछ परवाह नहीं। और ये महिलाएं कौन है?
अफसर -यह पीरसाला सदरजल्सा थी- इन्होंने इब्ताई तकरीर की। दूसरी महिला ने बाद में तकरीर की और अपने तई इस संन्यासी की दुख्तर जाहिर किया।
गवर्नर - माता! तुम्हारी कितनी उम्र है?
वृद्धा- 70 साल के करीब।
गवर्नर- क्या तुम हमारे राज्य से नाखुश हो?
वृद्धा-हर्गिज नहीं- नगरकोट का बच्चा-बच्चा यवनसम्राट् और राज्यअधिकारियों के उपकार की कदर करता है।
गवर्नर- फिर तुमने इश्तआलमआमेज तकरीर क्यों की?
वृद्धा-मैनें राज्य के खिलाफ इश्तआल हर्गिज नहीं दिलाया- मुझे अपने शब्द भूले नहीं है।
गवर्नर - पुलिस अफसर! तुम क्या कहते हों?
अफसर- इसके अल्फाज तो सख्त न थे लेकिन तकरीर का लुब्बे लुबाब यह था कि नगरकोट के बाशिन्दे हुकूमते यूनान का जुआ अपने कंधे से उतार फेंक दें।
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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