**राधास्वामी!! 10-10-2020
- आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1)सुरत मन में प्रेम गुरु जिसके बसा। फूल से ज्यादा है हर दम वह खिला।।। प्रेम अगिनी अपने हिरदे बालिये। फिकर भजन और बंदगी का जालिये।।-( खाना बे शुबहे का तुझको है जरूर। तो भजन तुझसे बनेगा बे कसूर।। (प्रेमबानी-3-गजल और मनसवी-पृ.सं. 396)
(2) सतगुरु परम दयाल कही यह अमृत बानी। सुन लो बचन हमार कहूँ मैं तोहि बुझानी।। सुरत प्रेम की बुंद अकथ इसका ब्यौहार। अंशी प्रेम भँडार प्रीती उस अगम अपारा।।-(तुम ही करो बिचार तरस क्या हमरे नाही। राधास्वामी मेहर बिचार रहो चरनन की छाहीं।। ) (प्रेमबिलास-शब्द-69 प्रश्न-पृ.सं.93-94)
(3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा कल से आगे।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**राधास्वामी!! 10-10-2020-
आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे -
( 10) प्रश्न- सतगुरु के चरणों में दीनता और नम्रता दिखलाना और उनके उपकारों के लिए धन्यवाद देना तो अनुचित नहीं है किंतु राधास्वामी- मत में उनकी भक्ति पर इतना जोर क्यों दिया जाता है ? राधास्वामी मत की पुस्तकों में लिखा है:-. पिरथम सीढ़ी है गुरुभक्ति। गुरुभक्ति बिन काज न रत्ती।।● ● ● ●
पिरथम सीढी भक्ति गुरु की । दूसर सीढी सुरत नाम की।।● ● ● ●
गुरु भक्ति बिन शब्द में पचते सो भी मानुष मूर्ख जान इत्यादि।।
उत्तर यह सर्वथा समीचीन है कि राधास्वामी- मत में गुरुभक्ति पर हद दर्जे का जोर दिया जाता है और इसका विशेष कारण है ।राधास्वामी -मत करनी का मत है और करनी का अर्थ साधन है। साधारणतया लोग अपनी धर्म पुस्तकों या अपने गुरुओं की शिक्षा और उपदेश पढ़, सुन या समझ कर संतुष्ट हो जाते हैं कि वे सच्चे अनुयायी अपने मत के बन गये पर राधास्वामी -मत बतलाता है कि जैसे हलवा बनाने की युक्ति पढ, सुन या सीख लेने मात्र से न किसी मनुष्य का मुँह मीठा हो जाता है और न पेट भर सकता है । इसी प्रकार किसी मत की शिक्षा पढ सुन और समझ लेने मात्र से किसी को उस मत के लक्ष्यपद की प्राप्ति नहीं हो सकती जैसे राधास्वामी-मत का लक्ष्यपद सच्चे मालिक से एकता है- तो अब विचार कीजिए कि इस परम गति के प्राप्त होने की युक्ति का केवल मानसी ज्ञान प्राप्त कर लेने से किसी प्रेमीजन को सच्चे मालिक से एकता कैसे प्राप्त हो सकती है? इसलिय राधास्वामी-मत में जोर दिया जाता है की प्रेमिजन अंतरी साधन को श्रेष्ठता दें और उसकी सहायता से अपने तन और मन को वश में लाकर और अपनी आध्यात्मिक शक्तियों को जागृत करके अपने अंतर में सच्चे मालिक से एकता का अधिकार पैदा करें।और जोकि सतगुरु भक्ति अंतरी साधन में सहायक होती है इसलिए इस मत में सतगुरु-भक्ति की इतनी महिमा है?
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
यथार्थ प्रकाश- भाग 2-
परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**
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