**परम गुरु हुजूर महाराज- प्रेम पत्र-भाग-1-
कल से आगे: -
(10 )-जितने मत कि संसार में जारी है उनका लक्ष्य स्थान माया के घेर में है और इस सबब से उनके बचन और उनकी युक्तियाँ अभ्यास की उसी हद में खत्म हो जाती है। इस वास्ते राधास्वामी दयाल के इष्ट वालों को चाहिए कि उन बचनों और युक्तियों को सुन कर धोखा न खावें और उन मत वालों की बातें सुनकर या उनकी किताबें पढ़कर भूल न जावें और अपना इरादा राधास्वामी देश में पहुंचने का ढीला न करें, नहीं तो किसी न किसी स्थान पर रास्ते में अटक जावेंगे और जन्म मरण से उनका सच्चा छुटकारा नहीं होगा।।
( 11) राधास्वामी दयाल अपने सच्चे भक्तों को आप प्यार करते हैं और हर तरह से उनकी सँभाल और रक्षा करते रहते हैं । और जो वे अपना इरादा मजबूत रखेंगे और राधास्वामी की दया का भरोसा और यकीन करेंगे, तो भी हर हालत में उनको आप माया और काल के चक्करों से बचाकर सीधे रास्ते से अपने देश में ले जावेंगे और अपने दर्शनों का परम आनंल बख्शेंगे और रास्ते में कहीं धोखा नहीं खाने देंगे ।
पर अभ्यासी भक्त को चाहिए कि प्रीति और प्रतीति उनके चरणों में बढ़ाता जावे और संशय और भरम अपने चित्त में ना लावे और जब कभी कोई संशय और भरम उठे, उसको सत्संग में फौरन जाहिर करके दूर करावें।और अपने तई कमजोर और अयोग्य जान कर , जब तब चरणों के वास्ते प्राप्ति मेहर और दया और अपनी सँभाल के प्रार्थना करता रहे।
क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
No comments:
Post a Comment