**परम गुरु हुजूर महाराज- प्रेम पत्र -भाग 1
- कल से आगे-( 15 )
संसारी लोगों के संग से मन में मलीन इच्छा और तरंगे यानी दुनियाँ के भोग बिलास की चाह पैदा हुई थी, सो संत सतगुरु और उनकी बानी का और उनके प्रेमीजन का संग करके इच्छा बदलेगी।
और जो कोई अपनी इच्छा के बदलने में थोड़ी बहुत कोशिश नहीं करते जावेंगे , उनको भजन और अभ्यास का रस भी कम आवेगा और राधास्वामी दयाल की दया की परख अंतर में नहीं आवेगी और न अपने मन के विकारों की खबर पड़ेगी और न उनके दूर करने का जतन दुरुस्ती से बन पड़ेगाl लिए
फिर ऐसे लोगों की संत मत की प्रतीति का भी पूरा पूरा भरोसा नहीं हो सकता और न उनकी राधास्वामी दयाल और गुरु के चरणों में प्रीति बढ़ेगी। क्रमशः
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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