**राधास्वामी!! 16-10-2020-
आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) मैं सतगुरु पै डालूँगी तन मन को वार। मैं चरनों में कुरबान हूँ बार बार।। जो मन इन्द्री पावें लज्जात को। गनीमत समझते है इस बात को।।-( जो दुनियाँ की कुछ आस होवे नहीं। तो इस काम में पैसा खरचें नहीं।।) (प्रेमबानी-3-मसनवी-पृ.सं.403-404)
(2) स्वामी मेहर बिचार बचन धीरज अस बोले। सुनहु भेद अब सार कहत हूँ तुमसे खोले।।-(बहुत देर तक सोच कीट मन यही समाया। जो कुछ होय सो होय चढो ऊपर बल लाया।। ) (प्रेमबिलास-शब्द-72 उत्तर,पृ.सं.98-99)
(3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
**राधास्वामी!!-.
शाम के सत्संग में पढा गया बचन- कल से आगे-
[ सतगुरु महिमा]-( 17)
संसार में जितने भी भक्तिमार्ग प्रचलित हैं उनमें कदाचित ही कोई ऐसा हो जिसमें सतगुरु- महिमा का ओजस्वी शब्दों में वर्णन करके उनके सम्मान ,सेवा और भक्ति के लिए उपदेश न किया गया हो ।
यह अवश्य है कि महिमा वर्णन करते समय कहीं गुरु और सतगुरु शब्दों का प्रयोग किया गया है,कहीं साध ,संत, ब्रह्मज्ञानी, हरिजन ,पीर, मुर्शिद आदि शब्दों का और किसी किसी स्थान पर तो उत्तम पुरुष अर्थात "मैं" ,"मेरा" और "मेरी" आदि शब्दों से काम लिया गया है।
पर आश्चर्य होता है कि इन दिनों वे लोग भी, जो अपने आपको भक्ति- मार्गों के अनुयायी कहते हैं, इस विषय में राधास्वामी -मत की शिक्षा पर कटाक्ष करते दृष्टिगत होते हैं ।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻
यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा -
परम गुरु हजूर साहबजी महाराज!**
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