Friday, January 8, 2021

सतसंग शाम DB 08/01

 **राधास्वामी!! 08-01-2021- आज शाम सतसंग मे पढे गये पाठ:-                                        

 (1) मन तछ करले हिये धर प्यार। राधास्वामी नाम का आधार।।टेक।। राधास्वामी नाम है अगम अपारा। जो सुमिरे तिस लेहि उबारा।। सुन घट में अनहद झनकार।।-(धुन आत्मक जो राधास्वामी नामा। तिस महिमा कस कहूँ बखाना।। जो सुने सोइ जाय निज घरबार।।) (प्रेमबानी-4-शब्द-8-पृ.सं.75,76)                                              

  (2) मेरे सतगुरु आप खिलाये रहे मैं कैसे न खेलूँ री होरी।।टेक।।-(मैने पिया प्यारे राधास्वामी पाये प्रेमसिंध बंदीछोडी। मैली चदरिया तन की छूटी स्रुत चुनरी सिर ओढी।।) (प्रेमबिलास- शब्द-122-होली-पृ.सं.178)                                                         

 (3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।        🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

**राधास्वामी!!

                                                           

आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे-( 117)-

इसके अनंतर कुछ और बातें इधर-उधर की होती रहीं। पर खेद है कि शास्त्रीजी ने कोई ऐसी बात न पूछी जिससे वह निश्चय कर सकते कि यहाँ किसी को शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त है या नहीं। जो हो, इस लेख के लिए, जो उनकी पुस्तक में छपा हुआ है, प्रथम तो उसका लिखने वाला उत्तरदायी है, और असंभव नहीं की इस पुस्तक की लिपि शास्त्रीजी के दयालबाग आने से पहले तैयार हुई हो। पर इस लेख में लेखक ने और दूसरे स्थान पर स्वयं शास्त्रीजी ने भी जो प्रेम- प्रसाद आर्यसमाजी भाइयों को पेश किया है वह भी पढ़ने योग्य है।

यह अवश्य है कि राधास्वामी-मत में विशेष संस्कृत जाने वाले नहीं है पर आजकल तो सभी शास्त्र हिंदी भाषा में मिलते हैं। और हर व्यक्ति जानता है कि राधास्वामी-मत के चौथे आचार्य एल्०एल्० बी० थे, और तीसरे आचार्य एम०ए० थे और दूसरे आचार्य पोस्टमास्टर जनरल थे। और राधास्वामी- मत के प्रवर्तक स्वामीजी महाराज अपने समय के अनुसार फारसी और संस्कृत भाषाओं से भली प्रकार अभिज्ञ थे। यदि किसी का यह विचार हो कि बिना व्याकरण पढ़ें हिंदू शास्त्रों का ज्ञान प्राप्ति ही नहीं हो सकता तो यह केवल उसका अन्याय है।   

                                                               

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻

 यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा- परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**

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