**राधास्वामी!! 03-01-2021- आज (रविवार) सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-
(1) कहाँ लग कहूँ कुटिलता मन की। कान न माने गुरु के बचन की।। तुम्हरे चरन प्रीति होय गाढी। सतसँगियन मन शुधता बाढी।।-(जो कोई माने हुकुम हमारा। पहुँचे वह सतगुरु दरबारा।।) (सारबचन-शब्द-पहला-पृ.सं.235,236)
(2) सुरत मेरी गुरु सँग हुई निहाल।।टेक।। प्रीति प्रतीति दई चरनन में। गुरु ने लिया मोहि आप सम्हाल।।-(चरन सरन गह हुई निचिंती। राधास्वामी प्यारे हुए दयाल।।) (प्रेमबानी-2-शब्द-17-पृ.सं.279,380)
सतसंग के बाद:-
(1) राधास्वामी दयाल सुनो मेरी बिनती। जल्दी दरस दिखाओ हो।।-(राधास्वामी प्यारे दया उमँगाओ। कीजे मम उपकारा हो।।) (प्रेमबानी-3-शब्द-5-पृ.सं.266)
(2) भाग जगे गुरु चरनन आई। राधास्वामी संगत सेवा पाई।।-(नित गुन गाऊँ चरन धियाऊँ। राधास्वामी राधास्वामी सदा मनाऊँ।।) (प्रेमबानी-2-शब्द-11-पृ.सं.14,15)
(3) सतगुरु सरन गहो मेरे प्यारे। कर्म जगात चुकाय।।-(राधास्वामी कहत सुनाई। यह आरत कोई गुरुमुख गाय।।) (सारबचन-शब्द-13वाँ-पृ. सं.166)
(4) सतगुरु दीजे मोहि इक दात।।टेक।। नीच निबल मैं गुन नहीं कोई। बल पौरुष कुछ जोर न गात।।-(राधास्वामी प्यारे होउ सहाई। बाल तुम्हारा रहा बिलकात।।) (प्रेमबिलास-शब्द-18-पृ.सं.110,111)
(5) तमन्ना यही है कि जब तक जिऊँ। चलूँ या फिरुँ मुहँ से बोलूँ कलाम। न बन आये मुझसे कोई ऐसा काम।। जो मर्जी तेरी के मुवाफिक न हो। रजा के तेरी कुछ मुखालिफ जो हो।।
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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