Sunday, January 3, 2021

Management of Life-Support Ecosystems'

 स्फ़ीहा द्वारा आयोजित 'Sustainable Development and

Management of Life-Support Ecosystems'

ग्लोबल वेबिनार में परम पूज्य हुज़ूर द्वारा फ़रमाई गई

अमृतमय टिप्पणी (26 नवम्बर, 2020)


          दयालबाग़ एजुकेशनल इन्स्टीट्यूट (Deemed to be University) तथा उसकी प्रायोजक संस्था राधास्वामी सतसंग सभा जिसका प्रमुख उद्देश्य मानवता की निःस्वार्थ सेवा से प्रारम्भ करके सभी जीवित प्राणियों की सेवा करना है, की ओर से विचार अभिव्यक्त करने का अवसर प्रदान करने के लिए धन्यवाद। मैं विशेषकर यह बताना चाहूँगा कि वर्तमान में उत्साहवर्धक चलन (Trend) रहा है कि नोबेल पुरस्कार विजेता प्रायः ऐसे नव्य/प्रगतिशील विचारों से प्रेरित हो रहे हैं जो गुणवत्ता व मूल्य (Values) प्रदान करने के साथ सम्पूर्ण मानवता की सेवा करें। ये Topological Graph Theory पर आधारित Mathematical abstraction (गणितीय अमूर्तता) होते हैं। एक समय पर नालन्दा व पाटलीपुत्र शिक्षा केन्द्रों की कीर्ति सम्पूर्ण भारत एवं विश्वभर में प्रख्यात थी, हम उसी परम्परा को आगे बढ़ा रहे हैं और विशेषकर ऐसी संस्थाएँ जो Co-operative System of Education को अपनाती हैं उन्हें संलग्न कर रहे हैं। शिक्षा व व्यवहार (Education and Practice) साथ साथ चलते हैं (सहगामी हैं)। मैं एक संक्षिप्त टिप्पणी कर रहा हूँ कि 'Nature is unordered' अर्थात् प्रकृति में असंख्य विविधताएँ हैं, जब तक हम असंख्य विविधताओं से अधिक विविधता नहीं रखते तब तक प्रकृति (Nature) को सम्पूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति के उद्देश्य/अभिप्राय के लिए प्रयोग में नहीं ला सकते हैं। Law of requisite variety यह बताता है कि यदि हम प्रकृति पर नियंत्रण प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे पास कम से कम Nature (प्रकृति) के बराबर आपेक्षित विविधता होना ज़रूरी है। यह गीता से लेकर विश्व की सभी धार्मिक परम्पराओं में उपलब्ध है जो अन्त में इसका समाधान आध्यात्मिकता के फ़्रेमवर्क में देते हैं जिसे Macrocosm, जिसमें हम रह रहे हैं, के mathematical abstraction में infinite Time frame के सिवाय किसी और तरह से नियंत्रित करना सम्भव नहीं है। किन्तु, इसके अतिरिक्त microcosm भी है; हम macrocosm में रहते हैं और हम उसे नियन्त्रित करना चाहते हैं जिसमें असंख्य विविधताएँ हैं, तो यह बहुत शीघ्र होने वाला नहीं है। हमारे वैज्ञानिक आजकल Photons के अतिरिक्त इस दिशा में (microcosm) भी खोज कर रहे हैं- 'We will see the light of the day' (हम भी उसका प्रकाश देखेंगे), एक Phonon होते हैं जो ध्वनि का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह आश्चर्यजनक है कि भारत के सभी धर्म कम से कम ध्वनि में तो विश्वास रखते ही हैं और इसे सबसे आगे रखते हैं और यह आन्तरिक ध्वनि जिसे हम Ultra-transcendental Meditation से उत्पन्न ध्वनि कहते हैं जो Macrocosm पर प्रभुत्व प्रदान करेगी। तो यह microcosmic based  development  (सूक्ष्म दर्शन  पर  आधारित  विकास)  है  जिसका  हमें  अभ्यास  एवं  पालन  करना चाहिये। जैसा कि मैने कहा विश्व की विभिन्न वेबसाइट्स को देखकर यह ज्ञात होता है कि सौभाग्य से आजकल ऐसा trend (चलन) है कि ऊँचे से ऊँचे स्तर का विकास हो और लोग Phonons पर आधारित खोज कर रहे हैं। Photons प्रकाश के प्रवाह का माध्यम हैं जो बहुत ही तेज़ रफ़्तार से चलते हैं और उनका कोई मुकाबला नहीं है, ऐसा Macrocosm (वाह्य जगत) में माना जाता है किन्तु Phonons उनसे भी तेज़ गति से प्रवाहित होते हैं। गहनता के स्तर पर इनकी गति असीमित (infinite speed) होती है ऐसा हम समझते हैं। Phonons ही Photons पर नियंत्रण करेंगे। तो हमारे पास प्रकाश व ध्वनि दोनों हैं और वास्तव में ध्वनि ही है जिससे समस्त सृष्टि की रचना हुई है। अब वे लोग जो macrocosmic world (वाह्य जगत) में सर्वोच्च शिखर पर हैं अब इसकी supremacy (प्रभुत्व) का अनुभव कर रहे हैं जो एक अच्छी बात है। Microcosm (सूक्ष्म जगत) एक closed system (सीमित सिस्टम) है- राधास्वामी मत की दार्शनिकता के अनुसार इसमें 3 वृहद् जगत हैं- पदार्थ जगत (Universe of Matter), मन का जगत (universe of mind) और उसके परे आत्मा का जगत (universe of spirit), जिसे अभी भी वैज्ञानिक spirit (आत्मा) का कहने में हिचकते हैं। वे इसे शुद्ध विचार या शुद्ध मन या शुद्धतम विचार व मन कहते हैं। किन्तु इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता है। यह प्रारम्भिक विमुखता है। लेकिन जैसा कि मैंने कहा कि अब हम प्रतिदिन इस प्रकार की रिपोर्ट देखते हैं कि Photons व Phonons साथ साथ चलते हैं। वे अब यह भी मानते हैं कि Phonons अर्थात् ध्वनि की गति जो आन्तरिक व आध्यात्मिक ध्वनि है उतनी ही तीव्र है जितना कि प्रकाश (Light), किन्तु वास्तव में यह उससे अधिक बढ़कर है। तो यही इसका सार है कि हम उस परम्परा से लाभ उठाएँ जिसे हमने अपनी विरासत से प्राप्त किया है जिसे हम आर्यन कहते हैं और इसलिये हम ऐसे जगत की सृष्टि करना चाहते हैं जो अपने निवासियों के स्वास्थ्य का पूरा ध्यान  रखे  न  कि  उसे Mobile,  smart  and  resilient  modern  city  सा संतप्त स्थान बनायें। हमारा उद्देश्य है कि इसे स्वस्थ वातावरण प्रदान करने का आधार बनाएँ, जहाँ विभिन्न प्रकार के प्रदूषण जो बड़ी चुनौती बन गए हैं और समस्त सृष्टि को ख़त्म कर रहे हैं, वह भी न हों। तो मैं यह विचार आपके समक्ष रखता हूँ कि यह Phonons हैं न कि Photons किन्तु दोनों साथ-साथ microcosm (सूक्ष्म जगत) को रोशन करते हैं। जैसा कि मैंने पहले बताया Macrocosm असीमित विविधताएँ रखता है, प्रकृति Uncontrolled (अनियंत्रित) है, एक Applied Systems Research Programme है जिसे मैंने 'International Institute for Applied Systems Analysis (IIASA, Austria) से प्रेरित होकर आगे बढ़ाया, यह term (concept) है जिसे हमने प्रयोग किया और IIT दिल्ली में Foundation for Innovation and Technology Transfer - FITT जिसका संक्षिप्त शब्द (ACRONYM)है, के रूप में शुरू किया। तो हैल्थ केयर सिस्टम के संदर्भ में fit(t) रहने के लिए, विद्यार्थियों के लिए आपको इस प्रकार के Co-operative Education की आवश्यकता है। तो हम ऐसी सोसायटी में Learners (सीखने वालों) पर विशेष ध्यान देते हैं और यह कोई धर्म से संबंधित नहीं है- वरन् यह Topological Graph Theory के abstraction व Mathematics पर आधारित है जिसमें Graphene (ग्राफ़ीन) पदार्थ (material)के रूप में उभर कर आया है जो Black Hole के विषय में सुराग (clues) देगा। हम प्रतिदिन कुछ न कुछ ऐसा देख रहे हैं कि Black Hole के विषय में और भी अधिक जानकारी मिल रही हैं। Big Bang सिद्धान्त जिसे वैज्ञानिक प्रतिपादित करते हैं और आइन्स्टीन की General Theory of Relativity का Quantum Mechanics के साथ सामंजस्य स्थापित कर रहे हैं । आइन्स्टीन Quantum Theory को General Theory of Realitivity के साथ स्वीकार नहीं कर सके थे किन्तु आइन्स्टीन युग के बाद यह सामने आ रहा है कि Phonons जो "Sound Current" ध्वनि तरंग हैं वे प्रकाश की गति के समतुल्य प्रवाहित होते हैं। तो अब हमारे पास Nature (प्रकृति) को नियंत्रित करने की क्षमता है कि हम अपनी सोसायटी को आदर्श हैल्थकेयर हैबिटैट (Ideal Healthcare Habitat) बनाएँ न कि एक आधुनिक शहर जो mobility, smartness तथा sensitivity या जिसे हम resilient कहते हैं। Mobile, Intelligent और resilient होने के बजाय हम इसे आने वाले समय में Modern Health Care Habitat (मॉडर्न हैल्थ केयर हैबिटैट) बनाएँगे और जैसा कि मैंने कहा कि यह केवल धार्मिक प्रवचन नहीं है, यह एक स्वीकृत Topological Graph Theory है जिसको विश्व भर में कई applications (प्रयोग) में प्रदर्शित किया गया है। तो मैं यह विचार आपके सम्मुख रखता हूँ कि धर्म व विज्ञान भी आपस में एक दूसरे के विरूद्ध नहीं हैं। ये ही वास्तव में अनियंत्रित प्रकृति पर नियंत्रण पाने की संभावना रखते हैं जिसके कारण Nether  Pole  जैसी  नारकीय  स्थिति  का  हम सामना  कर रहे हैं जो कि आगे चलकर नितान्त नर्क होगा जहाँ  इतना  अधिक  तापमान  होगा  कि  लोग  भस्म  हो  जाएँगे,  कोई  जीवित  नहीं  रह  सकेगा। तो यह वैज्ञानिक तथ्य है जो लोगों को चिंतित कर रहा है। किन्तु जैसा मैंने बताया है कि यह Mathematical Theories हैं केवल धार्मिक वार्ता नहीं है। विश्व के सभी धर्म चाहे ईसाई हो, इस्लाम हो, बौद्ध धर्म हो या जैन धर्म, सभी Ultimate Microcosmic Apex (आन्तरिक परम सर्वोच्च शिखर) पर जाने का मार्गदर्शन करते हैं जो राधास्वामी 21 डिग्री (स्तरीय) स्वतंत्रता रखते हैं और जो प्रकृति द्वारा समस्त सृष्टि में होने वाली सबसे बदतर (worst) आपदा को सम्हाल सकते हैं। जैसा कि मैंने बताया कि पदार्थ का वृहद्भाग (Grand Division of Matter), मन का वृहद् भाग (Grand Division of Mind) और उसके परे आत्मा का वृहद् भाग Grand Division of Pure Spirituality) है। अंत में सभी Grand Division of Spirit (आत्मा के वृहद् भाग) में वापस जाएँगे। हम सभी Pointed loops (नोकीले लूप्स) होंगे हम ऐसे Loops होंगे जिसमें एक Point होगा- अतिसूक्ष्म कण के रूप में, तो, उसमें दोनों ही लहर स्वरूप (i.e., field formation) जिसकी Quantum Theory भविष्यवाणी करती है कि लहर रूप व्यवहार और साथ ही एक point source (Particle, सूक्ष्म कण) की तरह व्यवहार दोनों मिलजुल जाएँगे। ऐसे उत्साहवर्धक trends मिल रहे हैं इसलिए मैं आशावादी हूँ कि विश्व शीघ्र ही प्रकृति की बेहतर सम्हाल करेगा और इसे उन तकनीकों द्वारा नियंत्रित करेगा जो न केवल भारत के आर्यन हिन्दू धर्म की परम्परा वरन् चीन व अन्य देश भी इसमें शामिल होंगे। जापान जहाँ बुलेट ट्रेन बहुत तेज़ रफ़्तार से चलती हैं, जिसने हमारे प्रधानमंत्री को उसे यहाँ शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया है किन्तु यहाँ हमारी आर्थिक दशा शर्मसार है। इस बात को ठीक से नहीं लिया गया है जबकि हमारी दशा जिसे हम project (प्रदर्शित) करते हैं पहले की भाँति ही अब भी निम्न कोटि की है। हमारे पास यहाँ (दयालाबाग़ में) लगभग 1200 एकड़ कृषि भूमि है और इस पर एक उन्नतिशील डेयरी भी आधारित है। इन दोनों के साथ हम हेल्थकेयर व्यवस्था प्रदान करते हैं जो मानव जीवन को सतत् बनाए रखेंगे। यहाँ दयालबाग़ में लोग पहले से ही 90 वर्ष या 100 वर्ष की आयु तक जीवित रहते हैं जैसा कि चार अवस्थाओं में दर्शाया गया है- युवा, प्रौढ़, वानप्रस्थाश्रम व सन्यास। तो यह हमारी पूर्व परम्परा थी किन्तु हम दोनों को संतुलित बनाए रखना चाहते हैं। यदि हम अपनी आन्तरिक शक्ति जाग्रित करते हैं तो हम इसे closed system (सीमित सिस्टम) पाते हैं। इसे केवल 21 डिग्री (स्तरीय) स्वतंत्रता की आवश्यकता है असीमित स्वतंत्रता की नहीं। किन्तु यह मैक्रोकॉस्म की infinite degree of freedom (असीमित डिग्री स्वतंत्रता) को नियंत्रित करती है क्योंकि abstract mathematics (अमूर्त गणित) हमें बताती है कि किस प्रकार यह असीमित डिग्री स्वतंत्रता (in terms of 21 hierarchies or levels) (स्तरीय अस्तित्व) रखती है। तो यह एक आशावादी संदेश है जो मैं देना चाहता हूँ।

          बहुत बहुत धन्यवाद।   

महामारी के दौरान डी.ई.आई. के शैक्षिक कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के सम्बन्ध में परम पूज्य हुज़ूर द्वारा फ़रमाई टिप्पणी-


          मैं डायरेक्टर डी.ई.आई. से एक बार पुनः निवेदन करता हूँ कि वह एजुकेशन सिस्टम के विषय में बताएँ कि किस प्रकार कोरोना अवधि (कोविड 19) में भी समस्त शैक्षिक कार्यक्रम बिना किसी व्यवधान के चलते रहे। इस पूरे समय वर्चुअल (Virtual) रिएलिटी मोड से विद्यार्थियों को शैक्षिक कार्यक्रम मिलते रहे। यही नहीं हमने इन्हें "Supervised" Virtual Reality के माध्यम से आयोजित किया ताकि शिष्यों द्वारा blue movies आदि देखने पर निगरानी रखी जा सके और ऐसी चीज़ों से उन्हें रोका जा सके। तो 'Supervised' virtual Reality से communication (संप्रेषण) के बुरे प्रभावों को ही नहीं बल्कि macrocosm वाह्य जगत के सभी कार्यों (operations) को भी नियंत्रित किया जा सकता है। शिक्षा महत्वपूर्ण है वह एक ऐसे मज़बूत सिस्टम का निर्माण करेगा जो इस प्रकार के हालात को नियंत्रित कर सके।


दयालबाग़ के Health Care Habitat (हैल्थ केयर हैबिटैट) के संबंध में परम पूज्य हुज़ूर द्वारा फ़रमाई गई टिप्पणी-


          मैं पुनः निवेदन करूँगा कि हमारे प्रेसीडेन्ट (DEI व इसकी प्रायोजक संस्था) जो स्वयं Royal Society of Physicians, London के Fellow (Member) हैं और जिनसे हमारा सम्पर्क व व्यवहार है उन्हें इस प्रकार Health Care Habitat प्रदान करते हैं। हमारी सोसायटी के तीन खण्ड - हमारे विद्यार्थी, हमारे लाभार्थी और हमारे benefactors, हैं।

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