**राधास्वामी!! 20-07-2021- आज सुबह सतसंग में पढा जाने वाला दूसरा पाठ:-
सतगुरु प्यारे ने दया कर,मोहि लीन उबारी हो।। टेक।।
जन्म जन्म भोगन में भूली। ऊँच-नीच माया सँग झूली। रही दुखियारी हो।१।
इस औसर गुरु सतसँग पाया। मेहर हुई मन चरन समाया। बचनगुरु उर धारी हो।२।
जग का रंग देख सब मैला। प्रेमी जन सँग कीना मेला। भोग लगे सब खारी हो।३।
उमँग उमँग सेवा को धाई। घेर फेर मन शब्द लगाई। हुई गुरु प्यारी हो।४।
अधर चढ़त गई द्वारे दस में।भीज रही स्रुत अमृत रस में। दूर हुए दुख सारी हो।५।
सोहंग मुरली धुन सुन पाई। बीन सुनी सतपुर में जाई। लखी गुरु लीला भारी हो।६।
अलग अगम गई सुरत प्रबीनी। राधास्वामी चरन हुई लौलीनी। हुई सबसे अब न्यारी हो।७।
( प्रेमबानी-3-शब्द- 8-पृ. सं.103,104 )
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**
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